पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/७५

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श्रद्धा नहीं करते–--वे अपने को और अपनी जाति को सर्व-श्रेष्ठ समझते हैं।" हाय! मेगस्थनीज और हुएनसांग के काल का भारत यहाँ तक पतित हो गया था!!!

इस बीच में गज़नी और ग़ौरियों से तलवार चल पड़ी---ग़ौरियों ने महमूद का वंश नष्ट कर दिया। महमूद के कोई एक सौ पचास वर्ष बाद मुहम्मद गौरी ने फिर भारत पर आक्रमण किया। पृथ्वीराज ने युद्ध क्षेत्र के मैदान में उससे लोहा लिया और उसे परास्त करके बन्दी किया, फिर कुछ दण्ड लेकर छोड़ दिया। छः बार उसने आक्रमण किया और हार खाकर बन्दी हुआ तथा धन देकर छुटकारा पाया। यह तेरहवीं शताब्दी की बात है। इस समय भारत में चार प्रधान राजपूत वंश राज करते थे: १---दिल्ली और अजमेर में चौहान। २---कन्नौज में गहरवार। ३---गुजरात में सोलंकी और ४---चित्तौड़ में सीसोदिया। ये चारों राजवंश यद्यपि परस्पर सम्बन्धी थे पर थे कट्टर शत्रु।

गुजरात के कुछ सोलंकी सरदार चौहानों की शरण में अजमेर चले आये थे। उनमें से एक ने राज सभा में अपनी मूँछों पर ताव दिया-- यह देखकर पृथ्वीराज के चचा कान्ह ने कहा--चौहानों के सामने कोई मूँछों पर ताव नहीं दे सकता और उन सरदारों का सिर काट लिया। पृथ्वीराज ने चचा की इस बात पर क्रुद्ध होकर आज्ञा दी कि कान्ह की आँखों पर चमड़े की पट्टी बाँध दी जाय जो सिवा युद्ध काल के कभी न खोली जाय। सोलंकी सरदारों के मारे जाने के समाचार जब गुजरात के राजा सोलंकी मूलराज के पास पहुँचे तो वह सेना लेकर अजमेर पर चढ़ आया और सोमवती के युद्ध क्षेत्र में पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर का सिर काट लिया। इसीलिये सोलंकी और चौहान जन्म के शत्रु हो गये।

अनंगपाल तोमर दिल्ली का राजा था। दिल्ली उस समय छोटी सी राजधानी थी। पृथ्वीराज चौहान और जयचन्द गहरवार दोनों ही उसके धेवते थे। उसने निस्सन्तान होने के कारण पृथ्वीराज को दिल्ली का राज्य दे दिया था। इससे जयचन्द मन ही मन में कुढ़ गया था। दूसरी बात यह थी कि देवगढ़ की यादवों की राजकुमारी की सगाई जयचन्द से हो गई थी। अभी विवाह न हो पाया था कि पृथ्वीराज बलपूर्वक राजकुमारी को