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भाव-विलास


शब्दार्थ—घेरी—सताई जाकर। मदन करि—कामदेव से।

भावार्थ—जो स्त्री काम वश होकर, स्वंय भूषण वस्त्रादि से सजकर पति के पास जाती है, वह अभिसारिका नायिका कहलाती है।

उदाहरण
कवित्त

घटा घहराति बिज्जुछटा छहराति आधी,
राति हहराति कोटि कीट रबि रुञ्ज लों।
हूकत उलूक बन कूकत फिरत फेरु,
भूकत जु भैरो भूत गावे अलिगुंज लों॥
झिल्ली मुख मूंदि तहाँ बीछीगन गूंदि विष,
व्यालनि कों रूदि के मृनालनि के पुञ्ज लों।
जाई वृषभान की कन्हाई के सनेहबस।
आई उठि ऐसे मैं अकेली केलिकुञ्ज लों॥

शब्दार्थ—घटाघहराति—बादल गरजते हैं। बिजुछटा छहराति—बिजली चमकती है। उलूक—उल्लू। अलिगुज्ज—भौरोकीगूंज। भिल्ली—कीड़ा विशेष। ब्यालनि—साँप। जाईवृषभान की वृषमान की पुत्री, राधा। कन्हाई—श्रीकृष्ण।

आठ अवस्थाएं
दोहा

स्वीया तेरह भेद करि, द्वै जु भेद परनारि।
एक जु बेस्या ये सबै, सोरह कहो विचारि॥