पृष्ठ:भाव-विलास.djvu/१४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
१३३
नायिका वर्णन


एक एक प्रति सोरहीं, आठ अवस्था जानु।
जोरि सबै ये एक सौ, अट्ठाईस बखानु॥
उत्तम, मध्यम, अधम करि, ये सब त्रबिधि बिचार।
चोरासी अरु तीनि सै, जोरें सब बिस्तार॥

शब्दार्थ—सरल है।

भावार्थ—स्वकीया के तेरह, परकीया के दो और एक गणिका, इस तरह कुल १६ तथा सोलहों के आठ आठ भेद मिला देने पर १२८ भेद हुए। फिर इन १२८ भेदों की उत्तम, मध्यम और अधम ये तीन-तीन अवस्थाएँ और होती हैं। इस तरह सब मिलाकर ३८४ भेद नायिकाओं के हुए।

उत्तमा
दोहा

सापराध पति देखि कै, करै जु मन मैं मानु।
दोष जनावै सहजहीं, सो उत्तमा बखानु॥

शब्दार्थ—सापराध—अपराधी।

भावार्थ—पति को अपराधी पाकर जो नायिका उसके दोषों को प्रकट कर मान करती है, उसे उत्तमा कहते हैं।

उदाहरण
सवैया

केसरि सों उबटो सब अंग, बड़े मुक्तानि सों माँग सम्हारी।
चारु सुचम्पकहार हिये उर, ओछे उरोजन की छवि न्यारी॥