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भाव-विलास

 

बालम सों उठि बोलौ बलाइल्यों, यो कहि देव सयानी खरी हौ।
हेरत बाट कपाट लगै हरि, बाट खरे तुम खाट परी हौ॥

शब्दार्थ—अनुराग—प्रेम। देखो.....कौ—विचार कर देखो यह सुख का समय है। जोवन.....उजरी हौ—तुम यौवन के कारण प्रकाशित हो रही हो। बालम से—पतिसे। बलाइल्यो—बलैया लूं। सयानी खरी हौ—चतुर हो, होशियार हो। हेरत बाट—इन्तज़ार करते हैं। कपाट लगै—किवाड़ो के पास खड़े हुए। हरि बाठ.....खाट परी हो—हरि बाहर खड़े हैं और तुम खाट पर पड़ी हो।

उदाहरण चौथा—(उपदेश)
सवैया

कोप से बीच परै पिय सों, उपजावत रङ्ग मैं भङ्ग सु भारी।
क्रोध बिधान बिरोध निधान, सुमान महा सुख मैं दुखकारी॥
तातें न मान समान अकारज, जाकौ अपानु बड़ौ अधिकारी।
देव कहै कहिहौं हित की, हरि जू सौ हितू न कहूँ हितकारी॥

शब्दार्थ—कोप से—क्रोध से। सुमान..... दुखकारी—मान सुख में दुख उत्पन्न करनेवाला है। तातें न मान......अकारज—इसलिए मान के समान अहितकर और कुछ नहीं। हितू—भलाई करनेवाला।

२८—उग्रता
दोहा

दोष कीरतन चौरता, दुर्जनता अपराध।
निरजनता सो उग्रता, जहँ तरजन बध बाध॥

शब्दार्थ—दुर्जनता—दुष्टता।