पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/१२९

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२०४ भापा-विज्ञान (अ) पश्चिमोत्तर वर्ग-९-लहँदा, १०-सिंधी। (श्रा) दक्षिणी वर्ग-११--मराठी। (इ) पूर्वी वर्ग-१२-विहारी, १३-उड़िया, १४-बंगाली, १५-आसामी। (सूचना-भीली गुजराती में और खानदेशी राजस्थानी में अंतर्भूत हो जाती है।) हम ग्रियर्सन के इस अंतिम वर्गीकरण को मानकर ही आधुनिक देशभापायों का संक्षिप्त परिचय देंगे। भारतवर्ष के सिंधु, सिंध और सिंधी के ही दूसरे रूप हिंदु, हिंद और हिंदी माने जा सकते हैं, पर हमारी भाषा में आज ये भिन्न भिन्न शब्द माने जाते हैं। सिंधु एक नदी को, सिंध एक J हिंदी देश को और सिंधी उस देश के निवासी को कहते हैं, तथा फारसी से आए हुए हिंदु, हिंद और हिंदी सर्वथा भिन्न अर्थ में आते हैं। हिंद से एक जाति, एक धर्म अथवा उस जाति या धर्म के माननेवाले व्यक्ति का बोध होता है। हिंद से पूरे देश भारतवर्ष का अर्थ लिया जाता है और हिंदी एक भाषा का वाचक होता है। प्रयोग तथा रूप की दृष्टि से हिंदवी या हिंदी शब्द फारसी भापा का है और इसका अर्थ 'हिंद का होता है, अत: यह फारसी ग्रंथों हिंदी शब्दो भिन्न में हिंद देश के वासी और हिंद देश की भाषा भित्र अर्थ दोनों अर्थों में श्राता था और आज भी या सकता है। पंजाब का रहनेवाला दिहाती अाज भी अपने को भारतवासी न कहकर हिंदी ही कहता है, पर हमें आज हिंदी के भाषा-संबंधी अर्थ में ही विशंप प्रयोजन है। शब्दार्थ की दृष्टि से उम अर्थ में भी हिंदी शब्द का प्रयोग हिंद या भारत में बोली जानेवाली किमी प्रार्य अथवा अनार्य भाषा के लिये हो सकता है, स्नुि चार में हिनी यम बरे भूमिभाग की भाषा मानी जानी है जिनकी मीमा पश्चिम में जमनगर, नर-पश्चिम में अंबाला, उत्तर में शिमला मेर नपान के पूर्वी छोर तक के पहाड़ी प्रदेश, पुन्च में भागलपुर,