पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/१७

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भापा-विज्ञान हम इस प्रकार का विवेचन, अध्ययन और अनुशीलन कर लेते हैं, तब उनी दृष्टि से किसी दूसरी भाषा अथवा अनेक भाषाओं का विवेचन फन्त हैं नया एक भाषा के सिद्धांतों तथा नियमों आदि का दूसरी भाषा या भाषाओं के सिद्धांतों और नियमों श्रादि से मिलान करते और श्रागन में उनकी तुलना करते हैं। इस अवस्था में इस विज्ञान की मीमा का और भी प्रसार हो जाता है और हम 'तुलनात्मक भाषा- विज्ञान का नाम देते हैं। सच पूछा जाय तो बिना तुलना के अध्ययन वैज्ञानिक हो ही नहीं माना नी से तुलनात्मक भाषा-विज्ञान को ही भापा-विज्ञान कहते हैं । फिनी भी भाषा के तुलनात्मक अध्ययन के लिये दो बातें आवश्यक होती हैं। (१) उसी भाषा के ( भिन्न भिन्न काल के) प्राचीन, प्राचीन और नवीन रूपी तथा अर्थों आदि की परस्पर तुलना, (२) और उस भाषा के गमे म्पों, अया श्रादि की अन्य भाषाओं के रूपों, 'प्रयों आदि में तुलना । दोनों प्रकार का तुलनात्मक विवेचन करने के लिये हमें देश और काल अर्थात भाषाओं के इतिहास और भूगोल दोनों का मानना चाहिए । इस प्रकार के व्यापक और तुलनात्मक प्रययन को पाने भाषा-विमान । भाग-विसान भाषा और वाणी विश्यक महज कुतूहल को शांत कानावा भाषा को प्रात्मकया है। शब्दों की रामकहानी है। जिमी आँचे बुल गई है और जिसने इसके ग्न एक बार भी यास्वादन कर लिया है, उनमें गाकी काम्यादमिनना जमा कि एक माहित्यिक को काम अनुनील में न मिलना आग के लिये याची मागज, गजी महावार सनी फैन हो गण, मित्र' बाटा यादि प्रश्न किमती मुक न बना देंगे । एक ही in Tो भयो विम्यामाया बेटों को मार गानामा कापिमा पादनकर नगरप्रतीभापालिनी