पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/१९३

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१६८ भापा-विज्ञान जिनके द्वारा यह अपूर्ण अनुकरण अपना कार्य करता है। ध्वनि-विकार के कारण की व्याख्या करने के लिये इन दोनों प्रश्नों को अवश्य हल करना चाहिए। ध्वनि का प्रत्यक्ष संबंध तीन बातों से रहता है-व्यक्ति, देश श्रमान | ये हो तीनों ऐ तो परिवति उत्पन्न करते हैं जिनसे ध्वनि में विकार होते हैं। व्यक्ति का ध्वनि से संबंध वाष परिस्थिति स्पष्ट ही है । अनुकरण से ही एक व्यक्ति दूसरे से भाषा सीखता है और प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ व्यक्ति-वैचित्र्य भी रहता है, अत: कोई भी दो मनुष्य एक ध्वनि का समान उच्चारण नहीं करते; इस प्रकार ध्वनि प्रत्येक वक्ता के मुख में थोड़ी भिन्न हो जाती है । ध्यान देने पर व्यक्ति वैचित्र्य के कारण उत्पन्न यह ध्वनि- वैचित्र्य सहज ही लक्षित हो जाता है। पर भाषा तो एक सामाजिक वस्तु है। समाज में भाषा परस्पर व्यवहार का साधन बनी रहे इसलिये व्यक्ति-वैचित्र्य का उच्चारण पर कोई प्रभार नहीं पड़ता। इस परिवर्तन के उदाहरण अरवी, लिथुआनियन आदि के इतिहास में मिलते हैं । यद्यपि किसी भी धनि के उत्पादन और अनुकरण का का एक व्यक्ति होता है तथापि उसका आलस्य, प्रमाद अथवा अशक्ति जब तक सामूहिक रूप से समाज-द्वारा गृहीत नहीं हो जाती तब तक भापा के जीवन पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता; अतः व्यक्ति का कार्य देश, झाल यादि अन्य परिस्थितियों के अधीन रहता है। ध्वनि की उत्पत्ति जिस वाग्यंत्र से होती है उमको रचना पर देश मा प्रभाव पाना सहज ही है, इमी मे एक देश में उत्पन्न मनुष्य के लिये दूसरे देश की अनेक ध्वनियों का उच्चारण देश प्रमान भगोन काटन ही नहीं, असभा हो जाता है। जैसे यही संकन का म दंगनी में महान हो जाता है। बंगाल में मध्य देश का न मना नालव्य श हो जाना है। इसी प्रकार प्राचीन काल में जो भेद भागेपीय भाषा तथा भारत की समान की ध्वनियों में पापनाउनका भौगोलिक परिधिनि भी एक बड़ा कारण थी।