पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/२५७

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नामकरण छठा प्रकरण अर्थ-विचार ( भषा-विज्ञान के दो अंगों का विवेचन पीछे हो चुका । उसके तीसरे अंग का नाम है अर्थ-विचार अथवा शब्दार्थ-विज्ञान । हिंदी में अभी कोई एक शब्द इस विज्ञान के लिये रूढ़ नहीं हुआ है । तीन शब्द प्रयोग में आ रहे हैं- अतिशय, अर्थविचार और शब्दार्थ-विज्ञान । अंतिम शब्द सबसे अधिक व्यावहारिक और सरल मालूम पड़ता है, तो भी हमने 'अर्थ- विचार' नाम को अपनाया है क्योंकि इसका प्रयोग हम पहले कर चुके हैं। अंत में जाकर तो वही शब्द , स्थिर रहेगा जिसका व्यवहार अधिक होने लगेगा। सच पूछा जाय तो अभी अँगरेजी, फ्रेंच आदि पाश्चात्य भाषाओं में भी इस विज्ञान का नाम स्थिर नहीं हो सका है। भिन्न भिन्न विद्वानों ने भिन्न भिन्न नाम चलाने का यत्न किया है। प्रोफसर पोस्टगेट ने रेमटॉलॉजी (Rhematology) प्रस्तावित किया है। ग्रीक शब्द रेमा का अर्थ होता है 'उक्त ( कही हुई बात )। ब्रेअल साहब ने सेमंटीक नाम चुना है । फ्रेंच नाम सेमंटीक का अँगरेजी पर्याय सेमेटिक्स अथवा सेस्मालोजी होता है। यही सेमंटिक्स शब्द अाजकल अधिक चल रहा है। यदि इसका ठीक और स्पष्ट भाषांतर किया जाय तो 'माने-तत्व' अथवा 'माने-विचार' कहना उचित होगा। ऐसा कई लेखकों (१) देखो आशुतोष-ग्रंथ में सरकार का लेख । 'अर्थ' से धन, वस्तु श्रादि का भी वोध होता है पर 'माने के बारे में कोई भ्रम नहीं हो सकता। २२८