पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/२८

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विषय-प्रवेश ११ है कि व्याख्यात्मक व्याकरण वर्णनात्मक व्याकरण के आधार पर ही काम करता है तथापि भापा-विज्ञान ने व्याकरण की व्याख्या को अपने अंतर्गत कर लिया है, और उसका आधार भी वर्णनात्मक व्याकरण हो जाता है। (व्याकरण एक काल की किसी भाषा विशेष से सम्बन्ध रखता है। भापा-विज्ञान किसी भाषा की अतीत काल की आलोचना करता है, तथा अन्य भाषाओं से उसकी तुलना करता है। व्याकरण नियम उपनियम और अपवाद का सविस्तर विवेचन करता है और भाषा-विज्ञान प्रत्येक शब्द का इतिहास प्रस्तुत करता है। व्याकरण भापा-विज्ञान का एक सहायक मात्र है। व्याकरण वर्ण-प्रधान होने के कारण भापा-विज्ञान और व्याकरण में एक और भेद हो जाता है। व्याकरण सिद्ध और निष्पन्न रूप को लेकर ही अपना काम करता है। भाषा में जैसे रूप मिलते हैं उन्हीं पर वह विचार करता है। प्राचीन रूप वर्तमान रूप को कैसे प्राप्त हुआ, इसके कारणों पर भापा-विज्ञान विचार करता है । भाषा- विज्ञान व्याकरण का व्याकरण है। उसका विकसित रूप है ! इसी गुण के कारण इसको तुलनात्मक व्याकरण अथवा ऐतिहासिक तुलनात्मक व्याकरण भी कहते है। इसके अतिरिक्त और भी ऐसे शास्त्र या विज्ञान हैं, जिनके साथ भापा-विज्ञान का साधारण या धनिष्ठ सम्बन्ध है। भाषा की सृष्टि भाषा-विज्ञान और विचारों से होती है। पहले मन में किसी प्रकार का विचार उत्पन्न होता है और तब उस मनोविज्ञान विचार के अनुकूल भाषा का सृजन होता है। भापा वास्तव में विचाररूपी साध्य का साधन है । विचारों का सम्बन्ध मन या मस्तिष्क से है । इस प्रकार भापा-विज्ञान का मनोविज्ञान के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित होता है। शब्दों के अर्थ आदि में जो परिवर्तन होते हैं उनके कारण और स्वरूप आदि के समझने के लिये भाषा-विज्ञान में मनोविज्ञान का आश्रय लिया जाता है। .