पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/२९१

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यानी शब्द २६० भापा-विज्ञान प्रकरण में सामान्यतया शब्दार्थ संबंध, शब्द-शक्ति, शत्रवृत्ति और शब्द व्यापार का अभेद से व्यवहार किया जाता है पर प्रत्येक नाम में अपना निरालापन है। शक्ति में चल और शत्ति के अन्य पर्याय- ोज है, वृत्ति में आश्रित रहने का भाव है, व्यापार में किया और उत्पादना की ओर मुकाव है 'कारण जिसके द्वारा कार्य करता है उसे 'व्यापार' कहते हैं। घड़े के बनाने में कुंभकार, मिट्टी, चाक आदि कारण हैं | चाक का घूमना, कुंभकार का उसे घुमाना श्रादि व्यापार है। घड़ा कार्य है ! इमी प्रकार शब्द से अर्थ का वोध कराने में शब्द 'कारण होता है, अर्थ-बोध कार्य और शब्द-शक्ति कारण का व्यापार है। वैयाकरण वास्तविक शक्ति के व्यावहारिक रूप की चार कला मानते हैं---दिक , काल, साधन और क्रिया 1 दिन में भूगोलशास्त्रीय दृष्टि से शब्द-शक्ति का समावेश होता है। 'काल' की लीला इतिहास में देखने को मिलती है। शब्द में कालवश शक्ति का हास तथा उपचय हुश्रा करता है । भाषा-शास्त्रियों के विचार में शब्द-शक्ति पर भूगोल और इतिहाल का प्रभाव स्पष्ट देख पड़ता है। सावन का अर्थ वह शक्ति है जिसके द्वारा कोई भी वस्तु अपना व्यापार सिद्ध करती है। कारक इसी लिये गधन के अंतर्गन या जाते हैं क्योंकि शब्द को इसी शक्ति के द्वारा वाक्य की क्रिया निष्पन्न होती है। साधन का इतना व्यापक अर्थ मानने पर प्रश्न उठना है कि क्रिया का क्या अर्थ है। क्रिया से यहाँ श्रालंका. रिकों के शब्द-व्यापार का अभिप्राय है। साधन और क्रिया (व्यापार) में अंतर स्पष्ट है। साधन के द्वारा वाक्य की क्रिया (अर्थान् धातसर्थ) निष्पन्न होती है. वह वाक्य के प्रत्येक शब्द को श्रापम में संबद्ध कर देती है, पर व्यापारम्प किया द्वारा शब्द 'अपने अर्थ में संबद्ध होना है। गायन एक शब्द का इमर शब्द में जाता है, क्रिया (अथवा व्यापार शहर का रही अर्थ न जादनी है। यद्यपि दाना शमन ही शक्ति ht पर एक वा दुनगे अंतरा। इस प्रकार किया का अर्थ एक ग: नहीं माना। क्रिया में बदों शव को अपनीय कगन की