पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/३४०

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. प्रागैतिहासिक खोज ३११ काल में वे इन संबंधों को स्थापित कर चुके थे। लड़की के लिये प्राचीन संस्कृत शब्द 'दुहिता' है जिसकी उत्पत्ति कुछ लोगों ने 'दुह' धातु से मानी है; और उससे यह सिद्धांत निकाला है कि वंश उसका काम गौएँ दुहने का था, जिससे उसका यह नाम पड़ा । निरुक्त में इस शब्द की उत्पत्ति यह मानी गई है कि जो दुःख से कष्ट से, हरण की जा सके । इस व्युत्पत्ति में विवाह की प्रथा का प्राचीन इतिहास मिला हुआ है । 'वधू' और 'वहतु' शब्द भी इसी व्युत्पत्ति का समर्थन करते हैं । पति, पत्नी और दंपती के भावसूचक शब्द भी इसी प्रकार का पारस्परिक संबंध प्रकट करते हैं। साधारण लोगों के लिये प्राचीन 'जन' शब्द मिलता है जिसका साम्य लैटिन Genit अँगरेजी Generic आदि में देख पड़ता है। जनों के समुदाय के लिये विश् शब्द का प्रयोग जाति आदि होता था और उनके नायक विश्पति' कहलाते थे। यदि अनेक विश मिलकर एक हो जाते थे, तो उनका नायक राजा कहलाता था। इसका चुनाव 'समा' (गॉथिक सिजा, जर्मन सिप्पे) या समिति में होता था। (देखो ऋ० १०, १२४-८- विशो न राजानं वृणानाः । ऋ० ९, ९२-६- राजा न सत्यः समिती- रियान: ।) अतएव इनकी शासन-पद्धति भी थी, यह इससे स्पष्ट सिद्ध होता है। किसी के प्राण ले लेने पर घातक को प्राणदंड मिलता था। कभी कभी वह जुर्माना देकर भी इम दंड से बच जाता था। वैर, वीर आदि शब्दों की व्युत्पत्ति से भी इस प्रकार के दंड का दंड-विधान आभास मिलता है। ईश्वर और आत्मा में विश्वास तथा अग्नि, वरुण, इंद्र आदि की पूजा का विधान भी पाया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्राचीन आर्यों में बहुत बातों में समानता थीं। भिन्न भिन्न स्थानों में वसने, भिन्न भिन्न जलवायु में पालित-पोषित होने तथा प्रकृति की भिन्न भिन्न स्थितियों में पड़ जाने