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३४० भाषाविज्ञान मंगोल १४८ भाषा में निरंतर परिवर्तन के भाषा-विज्ञान-शास्त्र का महत्त्वं २ कारण ५४

--शास्त्र की परिभाषा १

-संकेतमय० २१ भीली १०४ --संहिति से व्यवहिति ४७ भूमिज ८८ --सामाजिक और सांकेतिक संस्था भोजपुरी १०५, ११३ २६,३१ भोट भाषा ६२ भाषाएँ भोटांशक बोलियाँ १३ --पूर्व-प्रत्यय-प्रधान ५६ म --व्यास-प्रधान ४८,४६ --संयोगप्रधान ६२, ६४ मंजूषा १८३ --समास-प्रधान ६२ मगर ६४ भाषाओं का वर्गीकरण मगही १०५ -रूपात्मक ४३, ४८, ५४ मध्यदेश का 'स' १६८ --वंशानुसार० ५ मनचाटी ६४ भाषाओं का विभाग १५ मनोभावाभिव्यंजकतावाद ३२ --में रूपात्मक विकार ४४ मराठी भाषा २४, ५७, ७१, ६८, भापा-विज्ञान ११२,११६,१३६, १४०, १४६ -और अन्य शास्त्र १३ –में दीर्घ करने की प्रवृत्ति १५६ और मनोविज्ञान ११ ---में हस्व करने की प्रवृत्ति १५६ ---और मानव-विज्ञान १३ मय ५८ --और व्याकरण १० मलय ४६, १४८ ---और साहित्य १२ मलय-पालीनेशियन ८७ --का प्रारंभ मलयन और मलनेशिया परिवार की


का इतिहास १५

भाषाएँ ५६ --का जन्म मलयालम ६६,६६ ---के अंग ७ -तुलनात्मक०२,४ -भारतवर्ष में. ४ महाभारत ७५ मलायु८७ मस्तो ६७