पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१०१

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भाषा का प्रश्न ब्राह्मणों को भी आँख से ओझल नहीं किया है, बल्कि बार- बार उनकी खबर ली है। ब्राह्मण के स्वाध्याय का प्रभाव कितना गहरा हो गया है। वली कहते हैं- रात दिन अँछुवाँ में अपने शास्तर करता है तर ऐ बरहमन देख तुझको बेदख्वाँ मजनूं हुआ। वली की दृष्टि ब्राह्मण के चंदन पर भी पड़ी है- बँधा है ऐ सनम जो दिल तेरे माथे के संदल पर अजब नहीं है अगर साये से उसके बरहमन निकले। जनेऊ का हाल भी देख लीजिए- बरहमन तुझ मुख को देखा पास हिंदू जुल्फ जुल्फ़ के तारों जनेऊ करके समझा बरहमन । वली ने हिंदू-शब्द का प्रयोग यहाँ काले के अर्थ में किया है। हिंदू-शब्द के दोनों अर्थो को एक ही जगह देखना हो तो वली का यह शेर पढ़े- हिंदू सूरज को दूर से नित पूजते वले । हिंदू-ए- जुल्फ़ की है बग़ल भीतर अाफ़ताब । वली को देश के प्राचीन वीरों के गुणगान में मजा आता था। वे हिंद में एक अजनवी की तरह रहने का दम नहीं भर सकते थे। उनके यहाँ राम, लक्ष्मण, कृष्ण, अर्जुन की कथा तो प्रचलित ही थी, वासुकि और यम भी. उनकी जानकारी के भीतर थे। सबसे पहले तनिक राम शब्द के प्रयोग पर ध्यान दीजिए