पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/११०

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. उर्दू की उत्पत्ति अन्य कोई पर्यायवाची या स्वतंत्र शब्द । ऐसा न करने से समीक्षा और सत्य के राज्य में बड़ी धांधली होगी और सन्नद्ध खोजक भूल-भुलैया में फँसकर व्यर्थ में सर मारेंगे। एक दूसरा उदाहरण लीजिए। शाह साहब की तरह एक दूसरे सजन मौलवी मुहम्मद बाकर आगाह हैं जिन्होंने स्पष्ट लिखा है--- "और इन सब रिसालों में शायरी नहीं किया हूँ बल्कि साफ और सादा कहा हूँ और उर्दू के भाके में नहीं कहा क्या वास्ते कि रहनेवाले यहाँ के (दक्षिणी ) इस भाके से वाकिफ नहीं हैं। ऐ भाई यह रिसाले दक्खिनी जबान में हैं।" साफ है कि आगाह ने भी उसी तरह 'उर्दू की भाका' और 'दक्खिनी जवान' में भेद किया है जिस तरह शाह साहब ने 'रेखता और हिंदी मुतारा' में। किंतु उनके भी समीक्षक ने उनकी पुकार की उपेक्षा कर उनकी जबान को 'उर्दू' वना ही दिया और किस तपाक के साथ लिख दिया- "यह सबसे पहले मुसन्निा हैं जिन्होंने 'उर्दू जवान' में सैर, अकायद, फिका की मुतद्दद किताये तसनीम की जैसा कि खुद आगाह ने लिखा है।" श्रागाह ने उर्दू या उदू भाका न लिखकर उर्दू की भाका लिखा और दक्खिनी के साथ 'की' का प्रयोग न कर केवल 'जवान' का प्रयोग किया। तो क्या 'उर्दू की भाका' और . उर्दू ---'दकन में उदू सन् १६२६ ई०, पृ० ७१ । २-बही, सन् १६२६ ई०, पृ. ६६ !