पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/११८

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उर्दू की उत्पत्ति कारण ? क्या आप नहीं जानते कि कभी कभी वे 'हिंदवी. छुट' और 'भाका' के फेर में पड़ जाते थे और उसके नालिस और सनील शब्दों के बोझ से उर्दू को लह बना देते थे जिससे उर्दू के राज्य में तहलका मच जाता था। खैर, खुदा खुश रखे उन नाजवरदारों को जो उर्दू को मुहफिल से निकाल कर जनता की चीज बनाना चाहते हैं और बात की बात में आमफहम और श्रामपसंद कर देना चाहते हैं। हालांकि आज भी जनता आम का अर्थ आम ही समझती है; फहम तो कभी भी उसकी फहम में या नहीं सकता। खुशवयान लोगों ने क्रिस जवान पर से ताजः जवान या उद्दे की इजाद की ? इसका जान लेना ऋठिन नहीं। शाह हातिम, जो सैयद इंशा से पुराने और सौदा के उस्ताद थे, दीवानजादे के दीवाचे में लिखते हैं- "व रोज़मरीः देहली कि मिरजायान हिंद व फसीह गायाने रंद दर मुहावरः दारंद मंजूर दानिस्तः ।, इसके आगे जो कुछ और फरमाते हैं उसे वज़ की लेखनी में लिखकर जेहन पर नोट कर लें। उनका दावा है- "सिबाय श्रा, जवान हर दयार, ता वहिंदवी, कि आँ रा भाका गोचंद मौशम नमृदः शकत रोजमरः कि आमफहम व खामपसंद वृदः स्तिचार करतः।" -- १-हिंदुस्तानी ( तिमाही रिसाला ) हिंदुस्तानी एरोडमी, इलाहा. बाद, जुलाई सन् १६३२, ६० ३२७ ।