पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१२४

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उर्दू की उत्पत्ति के मेल के कारण ! उसका वास्तविक संबंध उर्दू-ए-मुअल्ला के उर्दू से हैं न कि सीधे किसी तुर्की उर्दू शब्द से। यही कारण है कि उर्दू का प्रयोग उर्दू-ए-मुअल्ला के बाद मिलता है और परंपरा में उसका शाहजहानाबाद या शाहजहाँ से संबंध जोड़ा जाता है। उर्दू-ए-मुअल्ला यद्यपि शाही शिविर या राजधानी का बाचक है तथापि उसका प्रयोग शाहजहाँ की शाहजहानाबादी राजधानी या लाल किला के लिये रूढ़ हो गया है। दिल्ली में लाल किला यांनी दरवार और जामा मसजिद यानी मजहबी मकतब बा अदविस्तान, जवान की टकसाल थे और किसी कदर आज भी हैं। मीर साहब जामा मसजिद की सीढ़ियों को बहुत महत्व देते थे। दरबारगीरी उनकी मौज के माफिक कव हो सकती थी। मतलब यह कि उर्दू के नाम पर विचार करने १. इस मेल को बार बार दुहाई दी गई है और उर्दू की यह खास खूवी साबित की गई है। लेकिन इस बात पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया गया है कि मिली-जुली भाषा का नाम 'उर्दू' नहीं बल्कि देखता रखा गया है। इस रेखता का तुको शब्द उर्दू यानी लश्कर से कोई संबंध नहीं। संगीत और काव्य प्रेमियों ने रेखता' को ईजाद किया है, कुछ लश्करी वा छावनी के लोगों ने नहीं। हिंदी भाषा में भारमी-परवा शब्दों का प्रयोग बराबर पाया जाता है। पारसी-अरवी या मुसलमानी शब्दों के मिल जाने से उर्दू नहीं बनी। आज तक कोई भी भाषा इस प्रकार नहीं बनी है। उर्दू किस प्रकार भी इसका कुछ पता इतो लेख से चल जायगा। भाषा में