पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१२६

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. उर्दू की उत्पत्ति हाँ, तो हमें उसी उर्दू का पता लगाना है, जिसकी चर्चा अभी अभी ऊपर हुई है। डाक्टर बेली' की धारणा है कि उडू का, भाषा के निश्चित अर्थ में सब से पुराना प्रयोग मसहफी (मृ. १८२४ ई०) का है। . मसहफी का शेर है- खुदा रक्खे जवाँ हमने सुनी है मोर वो मिरजा की; कहें किस मुँह से हम ऐ 'मसहफ़ी उर्दू हमारी है। मसहफी के शेर से उसकी तिथि का ठीक ठीक पता नहीं जगता; लेकिन समझ यह पड़ता है कि मीर और सौदा के निधन के बाद ही कभी यह शेर कहा गया होगा। मीर साहब तो सौदा के बाद भी जीते रहे और अपने कलाम से लोगों को मन करते रहे। उनके निधन की तिथि निश्चित नहीं है। डाक्टर बेली ने सन् १७९९ ई० को ठीक माना है। यदि यह ठीक है तो ममहफी का यह शेर १७९९ के बाद की रचना है। इस . प्रकार इसका काल सन् १७९० न होकर १८०० या इससे भी बाद ठहरता है। मौलाना सैयद सुलैमान साहब ने भी उर्दू के प्रयोग के विषय में लिखा है-- "नकिरः सखजन उलगरायच में जो सन् १२१८ हि० (१८०३ ई.) की तालीम है, मिरजा मजहर जानजाना के हाल में लिखा है- . - १~~ R. A.S. 1930-पृ. ३१३॥ २.I. R. A.S. 1980-पृ० ३६५ । ३-अलीगढ़ मैगजीन ( वही ) सन् १६३३ ई०, पृ० २६ ।