पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१२८

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. उर्दू की उत्पत्तिः आवश्यकता नहीं कि मौलाना हक उर्दू के विधाता, कर्णधार और आचार्य हैं। उनके सामने 'अरवाव नसर उर्दू के गरीब लेखक सैयद मुहम्मद कादिरी की चल नहीं सकती। फिर भी उनकी राय देख लें--- "लेकिन वह ( लल्लूजी लाल ) कालेज के दूसरे मुंशियों को हिंदी किताबों के तर्जुमा करने में घड़ी मदद देते रहे और कालेज की सरपरस्ती में बाज उम्दः हिंदी किताबों का उर्दू में तर्जुमा कराया। उनकी हिंदी तहरीर भी निहायत साफ़ व शुस्तः थी। अगर उसको फारसी रस्मुल्खत में लिखा जाए तो उसको उद- तहरीर ही कहा जाएगा। इसमें संस्कृत के सकोल और गैरमा-. नूस अल्फाज़ की बेजा भरमार नहीं है।" बड़ी कृपा क्या, ऐन इनायत होगी यदि मौलना हक उन उर्दू किताबों का पता बता दें जिनसे लल्लूजी लाल ने अरवी-- फारसी ल पज निकालकर, उनकी जगह संस्कृत और. हिंदी के. नामानूस लज़ जमाकर प्रेमसागर की रचना कर ली। मौलाना हक को पता होना चाहिए कि जब साहिब ने लल्लू जी से कहा कि- "ब्रजभाषा में कोई अच्छी कहानी हो, उसे रेखते की बोली: में कहो । तब उन्होंने कहा कि-


अरबाब नसर उर्दू, पृ० २५० ( हैदराबाद )

-लालचंद्रिका-'कवि-परिचय' ।