पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१५. उर्दू की उत्पत्ति लिखा सवने । पर लल्लूजी लाल और मीर अमन को जो ख्याति मिली वह और किसी को नसीव न हुई। कारण प्रत्यक्ष है। लल्लूजी लाल ने दिल्ली आगरे की खड़ी बोली' में लिखा और मीर अमन ने उर्दू-ए-मुअल्ला की ठेठ उर्दू की जवान में । मीर अमन ने भी बोल-चाल में लिखा तो सही किंतु उनकी सीमा संकुचित थी। सिर्फ उर्दू-ए-मुअल्ला को ही उन्होंने अपना देश वनाया। लल्लूजी लाल का देश उनके देश से कहीं बड़ा और विस्तृत था। उसमें दिल्ली और आगरे का समूचा प्रांत था। पर लल्लूजी लाल ने एक में. अनेक का विधान किया और लोग उन्हें दोषी ठहराने लगे। अस्तु, इस प्रसंग को यहीं छोड़िए और देखिए कि स्वयं गिलक्रिस्ट, जो उक्त कालेज के ( सन् १८०० से १८०४ ई० तक) हिंदी-अध्यापक और फारसी के भी शिक्षक थे, उर्दू के विषय में क्या कहते हैं । क्या उसे देशभापा या मुल्की या अदबी जवान मानते हैं ? याः यों ही यार लोग दून की ले रहे हैं और प्रोपोगंडा. के.. बल पर हिंदी को खतम कर देना चाहते हैं। शाह हातिम ( मृ०.१७९२ r हो गए हैं। इसी लिये राष्ट्रभाषा के उक्त उपासक उनके पहले 'हिंदी की कैद लगाते हैं जिसका सीधा-सादा अर्थ है कि वे हिंदियत को कायम रखना चाहते हैं। उर्दू की तरह छोड़ना नहीं । --मसागर की भूमिका । २...बागोवहारा श्री...