पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उर्दू की उत्पत्ति भी सिम इसी लिये नहीं लिखे जाते हैं कि उनको लिखने का हुक्म नहीं है । . उदू के किसी उस्ताद ने उन्हें नहीं लिखा और यदि लिखा भी तो उन्हें उर्दू की छाप नसीव न हुई। आखिर इन सब खुराफातों की जड़ क्या है। मौलाना सलीम' जैले उर्दू के मर्मज्ञ की राय मुनिए और हक के लिहाज से उन्हें दाद दीजिए-- "अाखिर हिंदी अलफाज़ का सखीक और मुन्तजल समझने की वजह क्या है ? इसकी वजह साफ जाहिर है। जो कौस अपने दर्जे से गिर जाती है, वह हुर्रियत का ताज मर से उतार कर गुलामी का ताज पहन लेती है, वह अपनी हर चीज़ को परतोजलील समझने लगती है। अपना मजहब, दूसरों के मजहयों के मुजाविले में, उन्हें अदना और कमजोर नजर आता है। गैरों के इखलाक और आढावा-रसूम अपने इखलाक और आदावा-रसूम से अच्छे दिखाई देते हैं। इसी तरह अपनी जवान भी उन्हें गैरों की जवानों की निस्वत, नाशाइस्ता और कममाया मालूम होती है। गैर जवानों के अलफाज उनकी नजर में निहायत शानदार और अरसा हो जाते हैं, और अपनी जवान के अलफाज हक़ीर और मुन्तजल मालूम होते हैं। यह मैलान गिरी हुई कौम के तमाम मामलात व हालान पर यकसाँ लौर से हावी हो जाता है। ५.बई इन्तहालात पृ० १७६। हिंदी, उट्ट और हिंदुस्तानी पृ. ६२ पर अवतरित।