पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१५१

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भाषा का प्रश्न तो क्या उर्दू गिरी हुई कौम की निशानी है ? राष्ट्र-हदय से उसका कुछ भी सीधा संबंध नहीं? हमें इसके उत्तर की जरूरत नहीं। आप स्वयं विचार करें और देखें कि उसकी असलियत क्या है। कहाँ तक वह लोक-भाषा या मुल्की जवान कहलाने के योग्य है ? क्यों उसने भाका या हिंदवीपन को छोड़ अरबियत और फारसियत का तीक पहना और अपने तई हिंदी कहलाना भी अपराध समझा ?: आपके इसी निर्णय पर देश का, भविष्य निर्भर है। याद रहे, सत्य ही की जीत होती है, अमृत या झूठ की नहीं। यदि आप सत्य का साथ देंगे तो सत्य अवश्य आपका साथ देगा और फिर राष्ट्र का बेड़ा पार है।