पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गासों द तासी और हिंदी करें, जिनकी उपेक्षा करने में हमारी वह अधोगति हुई और यह फूट बढ़ी है। मन १८५२ ई. की बात है। अपने ५ दिसंबर के व्या- ख्यान में गाली द नासी ने जो कुछ कहा था वह इसी पुस्तक में, पृष्ट ७४-४५ पर, राष्ट्रमाया का नाम' शीर्षक में देखिए । गाली द तासी का प्रकृत कथन बड़े महत्व का है। इस पर विचार करने से पता चलता है कि-- (१) हिंदी' शब्द का प्रयोग 'हिंदुस्तानी' से अच्छा, व्यापक और कहीं स्पष्ट है। (२) हिंदी को सुसलिम बादशाहों ने भी लोक अथवा राष्ट्र- भाषा के रूप में स्वीकार किया और दफ्तरों में फारसी के साथ ही माय उसे जगह भी दी। उसको कभी त्याज्य या गॅवारी नहीं ठहराया। (३) ब्रिटिश सरकार ने भी हिंदू-हित के विचार से हिंदी को महत्व दिया और देवनागरी लिपि में कानून की किताबें छप- वाई। कारण: 7--गाना द तासी के व्याख्यानी का एक संग्रह अंजुमन तरक्की उर्दू औरंगाबाद में उर्दू में छन्द्रित होकर प्रकाशित हुया है और शार यहाँ की मासिक पत्रिका 'उडू में प्रकाशित हो रहे हैं। मंत्र में जन् १८५८ लेकर सन् १८६६ ई० तक के व्याख्यान संग- होत है। क्या हो अच्छा होतायदि हिंदीवालों का भी ध्यान उघर जाता और भी अपने साहिल को हमने संपन्न करते।