पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१५५

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भाषा का प्रश्न (४) ब्रिटिश राज्य में भी "हिंदी उर्दू के साथ साथ इसी तरह कायम है जैसे कि फारसी के साथ थी।" हिंदी की जिस स्थिति का पता गासीदतासी ने दिया है वह फिर भी संतोषजनक है। उर्दू के साथ ही साथ उसकी भी सत्ता स्वीकार की गई है। हाँ, इतना अवश्य हुआ है कि सरकार ने उसे दफ्तरों से निकाल दिया है और उर्दू को उसकी जगह बिठा दिया है। हिंदी की तरह हिंदी लिपि के विषय में भी गासी द तासी का कहना है कि उसका व्यवहार भारत के बाहर भी होता हैं। प्रमाण के लिये उनका यह कथन लीजिए- "मैंने तिजारती सामान की रसीद देखी, जो बंदरगाह लामू पर जंजीवार के करीब जहाज पर लादा गया था और अदन भेजा गया था। यह रसीद नागरी रस्म खत में थी जो आम तौर पर. बनिए लोग अपने खत कितायत में इस्तेमाल करते हैं।"- ( वहीं पृ० ३७४) यह तो हुई नागरी लिपि की व्यापकता की बात, अब तनिक उसकी उपयोगिता पर भी ध्यान दीजिए- " "मिस्टर डंकन फोर्बस (Duncan Forbes) ने (मृ० १८३४ ई० ) अपनी उर्दू लुगत का दूसरा एडीशन शाया कर दिया है। इस एडीशन में उर्दू के अल्फाज़ को देवनागरी खेत में भी लिखें दिया है। इन्होंने यह काम कमाल इहतियात और दीदारेजो के साथ किया है। 'जब हिंदी अल्फाज़ फारसी खत में लिखे जाते