पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१७९

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सापा का प्रश्न बमुकाबला जायिज़ , रस्मोरिवाज चे बुनियाद के तरजीह देता है और उसकी तासीर से वेवगान हनूद के झूठे रस्मोरिवाज की पाबन्दी से बचा कर आदिल गवन मेंट ने कानूनी हक. उनका वहाल फरमाया है।" यह तो स्वामीजी का आर्य मसविदा' है। 'फसीह मस- विदा' का सामना करना हो तो कचहरी में पहुँच जाइए और अपनी उस मुल्की जबान को पहचान लीजिए जो आपकी मादरी जवान है। आज नहीं तो कल यहीं आपके घर की बोली होगी। आज तक खेल में आप 'चे से कहा कर छोड़ दिए जाते थे, पर अब सचमुच आपको इसी 'चे में का जाप करना होगा। इसी से रोटी नसीब होगी। स्वामीजी के सामने इस रोटी का प्रश्न न था। वे आर्यावर्त की उन्नति चाहते थे और आर्यावर्त की उन्नति में विश्व की उन्नति समझते थे। तभी तो स्पष्ट कहते हैं- "हम लोगों का तो यहीं अभीष्ट, यही कामना और यही उत्साह है कि उसकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी तथा "हमने केवल परमार्थ और स्वदेशोन्नति के कारण अपने समाधि और ब्रह्मान द को छोड़ कर यह कार्य ग्रहण किया है।" w "

१-आर्यसमाजियों की उर्दू आर्यसमाजी उर्दू के नाम से पुकारी जाती है और नजीबों को खटकती है। २-पत्र और विज्ञापन प्र० भाग, पृ० ६६ । च० भाग, पृ० १८। "