पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१८५

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सापा का प्रश्न. में हिंदी-उर्दू का नया झगड़ा खड़ा कर दिया .. क्या अब हम नागरी के विरोधियों से. यह जानने की धृष्टता कर सकते हैं कि उस समय क्यों उन्होंने अँगरेजी सरकार के उक्त विधान को स्वीकार कर लिया और किसी तरह का कोई आंदोलन खड़ा नहीं किया? याद रहे, उस समय अँगरेजी सरकार देहली सरकार के अधीन थी और उसी की ओर से शासन कर रही थी। और आज यह उसी अधीनता का परिणाम है किः चाँदी के सिक्कों पर किसी भी देशभापा को स्थान नहीं मिला और फारसी बदस्तूर उन पर बनी.रही। जो लोग रुपए पर फारसी लिपि को देखकर उसे उर्दू समझ लेते हैं उन्हें याद रखना होगा कि 'यक रुपयः' उर्दू नहीं बल्कि शुद्ध फारसी है। यदि विश्वास न न हो तो टुक हिश्त आनः' और 'चहार प्रानः' पर गौर कर लीजिए और गिलट के सिक्कों पर 'एक आनः' और 'चार आन’- देख लीजिए।, यदि यक', 'हश्त' और 'चहार' रडू है तो उनका फारसी खेप क्या होगा, कुछ इसका भी. विचार है ? भई, होश संभालो और वह कदम उठाओ जिससे दुनिया में कुछ होके जी सको, नहीं तो सिक्कों पर दुहरी गुलामी की छाप तो है ही। वह अपने आप तो मिटने से रही !: हाँ, आपको अवश्य मिटा देगी। .