पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/७५

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भाषा का प्रश्न स्तानी को हिंदोस्तानी लिखने का विधान करते हैं। उधर प्रयाग-विश्वविद्यालय के डाक्टर अब्दुलसत्तार सिद्दीकी जैसे धुरंधर विद्वान हिंदुस्तानी को शुद्ध सिद्ध करते हैं और हिंदुस्तान बगैर 'वाय' की सनद फारसी तथा उर्दू के. उस्तादों के कलाम से पेश करते हैं। सारांश यह कि स्वयं हिंदुस्तानी' शब्द ही झगड़े का कारण बन गया है और पाठकों को हिंदुस्तान से निकाल कर फारस में फेंक दिया है। इसका निपटारा उर्दू में भी नहीं हो सका। इसके लिये विदेश की सनद लानी पड़ी है। क्या यही है राष्ट्र-भाषा का सच्चा नाम ! और यही है एकता का सच्चा उपाय !! - हिंदुस्तानी के हिमायतियों को भूलना न होगा कि हिंदोस्तानी शब्द एकांगी अथवा मुसलमानों के प्रतिकूल है। हिंदोस्तान का सीधा-सादा अर्थ है हिंदुओं का स्थान अथवा वह देश जिसमें हिंदुओं का निवास हो। प्रत्यक्ष है कि हिंद में हिंदू ही नहीं वल्कि मुसलमान भी रहते हैं और वे आज अपने को किसी प्रकार हिंदू कहने के लिये तैयार भी नहीं हैं। निदान उनके विचार लेखकों की यह प्रवृत्ति न थी ।: . फारसी-अरबी के शब्द शुद्धं तत्सम रूप में प्रयुक्त नहीं होते थे प्रत्युत उनके उन्हीं रूपों का प्रयोग किया. जाता था जो ठेट तद्भव होते । बाद में फारसी के प्रभाव में आ जाने से उन्हें शुद्ध तत्सम रूप दिया गया और बहुत से हिंदी शब्दों को मुअब तथा सुअज्जम बना लिया गया। अँगरेजी का श्राना भी उर्दू में 'आनः' हो गया, वह हिंदी का पाना नहीं रहा ।