पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/९६

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९१ हिंदुस्तानी "हिंदू मग पर पाँव न राख्यो, काजी बहुतै हिंदी भाख्यों ।" अथवा किसी सूफी कवि की इस दलील पर अमल करें- "हिंदी पर ना मार ताना, सभी. बतावे हिंदी माना । वह जो है कुरआन खुदा का, हिंदी करें बयान सदा का। लोगों को जद खोल बनावे, हिंदी में कह कर समझाएँ । जिन लोगों में नवी जो आया, उनकी बोली में बतलाया " आशा है. अब आप भी उसी हिंदी को अपनायेंगे जिसकी पैरवी अभी की गई है और जो सच्चे सूफियों को सदा से प्रिय रही है। Pोरिवंटल कालेज मैगजीन, लाहौर, ०४ ।