पृष्ठ:भूगोल.djvu/१००

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ह अक १-४] जापोरा बाई ने अपने गोद लिये बेटे मल्हारराव का पक्ष मण्डावल और पहेरा के जागीरदार जाओरा राज्य लिया । अब्दुल गफूर खाँ का साथ दिया । १८१७ की नींव पड़ने के पहले ही मौजूद थे। में महीन्द्रपुर की लड़ाई में वह तटस्थ रहा। लड़ाई जाओरा नगर समुद्रतल से १६०० फुट ऊँचा के अन्त में उसने अपने को ब्रिटिश के हाथ में है। यह अजमेर खंडवा लाइन पर स्थित है। नगर सौंप दिया । १८१८ में मन्दसौर की सन्धि के बाद का क्षेत्रफल लगभग ७३ मील है। यह २६ भागों में सञ्जीत, मल्हारगढ़ ताल, मन्डावल, जाअोरा और बँटा हुआ है । यहाँ पहले खटकी राजपूत रहते बरौदा की तहसीले गफूर खाँ को मिल गई। थे। महल, जामा मस्जिद, हनुमान का मन्दिर, पिप्लौदा से उसे कर भी मिलने लगा। १८२५ में धर्मशाला, गफूर खाँ का मक़बरा देखने योग्य हैं । वह मर गया। उसके बेटे गौस मुहम्मद खाँ ने राज्य की जनसंख्या १,००,१६६ है और सालाना १८६५ तक और उसके बाद इस्माइलखाँ ने १८६५ आय १२,४४,००० रु.) है। वर्तमान नरेश लेफ्टिनेन्ट तक राज्य किया। १८६५ में इफ़त खाँ बाटोरा का कर्नल हिज हाईनेस फखरुद्दौला नवाब सर मोहम्मद इफ्तिखार अली खां बहादुर सौलते जङ्ग जी. वी. नवाब हुआ । पिपलौदा, बिलौदा, सिरसी, सदा ई०, के सी० आई० ई० पठान हैं । आपको १३ खेरी, खेरवासा, बरखेरा, खोजन खेरा, डपरवासा, तोपों की सलामी लगती है और आप चैम्बर शतौता, केठारकुजा आदि के जागीरदार हैं । अम्बा, आफ प्रिन्सेज़ के मेम्बर हैं।