पृष्ठ:भूगोल.djvu/१०४

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बिजावर 1 बिजावर सनदवाले राज्यों में से है। यह बुन्देलखण्ड में है। २४ १६ उत्तरी अक्षांश से २५.१' उत्तरी अक्षांश तक तथा ७६° और '५७' पूर्वी देशान्तरों के बीच फैला अधिक है। बाकी ३४३ गाँव हैं जिनकी जन-संख्या ५०० से १००० तक है। राज्य में ६६ प्रति सैकड़ा हिन्दू शेष ४ प्रतिशत में जैन, मुसलमान और दूसरी जातियाँ हैं । हुआ है। व्यवसाय- नामकरण- मुख्य व्यवसाय खेती है। १,३६,७०० एकड़ भूमि में विजयसिंह नामी गोंड ने विजावर नगर की बुनियाद खेती होती है। जिसमें १५,००० एकड़ में सिंचाई होती है। डाली। उसी के नाम पर इस राज्य का नाम विजावर पड़ा। रबी व खरीफ़ दो फसलें तैयार की जाती हैं। यहाँ विजावर सीमा तथा क्षेत्रफल- व करैला तहसीलों में पान की खेती होती है। राज्य के इस राज्य का क्षेत्रफल ६७३ वर्ग मील है। इसके अन्दर लगभग २,७४, ६०० एकर जगल हैं। जंगल की उत्तर में छतरपुर, चरखारी और ओरछा राज्य, दक्षिण लकड़ियाँ काटी व बेची जाती हैं । सिमेर, झंड और धनौज में चरखारी, पन्ना और सागर जिला, पूर्व में छतरपुर आदि गाँवों में हीरा निकाला जाता है। लोहा और चूना को और पश्चिम में ओरछा, पन्ना और सागर का जिला है। भी खोदाई होती है प्राकृतिक विभाग- घी, लाख, चिरौंजी, तिल, महुश्रा और जंगल से प्राप्त यह राज्य सेन्ट्रल इण्डिया के निचले प्रदेश में स्थित वस्तुएँ बाहर भेजी जाती हैं। मिट्टी का तेल, तम्बाक, है। इसका मध्यवर्ती भाग इधर-उधर पहाड़ियों से कट चावल, चीनी, नमक, कपड़ा आदि बाहर से आते हैं। गया है। पहाड़ियाँ १६०० फीट से अधिक ऊँची नहीं हैं। ये पहाड़ियाँ घने जंगलों से परिपूरित हैं। सबसे संक्षिप्त इतिहास- ऊँची पहाड़ी चन्दलाख की है जो १७६६ फीट ऊँची १७३२ ई० में महाराज क्षत्रसाल ने जब अपना राज्य है। यह विजावर नगर के समीप ही है। करैय्या तहसील बाँटा तो जैतपुर, बाँदा, अजयगढ़ और चरखारी जगतराज की भूमि अच्छी, सम और उपजाऊ है। को मिले। जगतराज के तीन पुत्र थे। दूसरे पुत्र पहायसिंह नदियां तथा झीलें- ने गुमानसिंह को निकाल कर स्वयं राज्य पर अपना अधिकार केन, सुनार, बैरमा, मीरहसन, धसान, बेला, कथल जमाया ! तीसरा पुत्र दीवान वीरसिंह देव था । आदि इस राज्य की नदियाँ हैं। गोरा, भगवान, रगौली, पहाइसिंह व गुमानसिंह में लड़ाई हुई तो वीरसिंह देव ने पहाडसिंह का साथ दिया । किन्तु कुछ समय पश्चात् पहाड़- पथरकुवान, भरतपुरा, कसार आदि बड़े-बड़े ताल हैं जहाँ सिंह को वीरसिंह देव के ऊपर शंका हुई। माँ ने जब तख़्ता साल भर बराबर पानी भरा रहता है। पलटता देखा तो वीरसिंह देव और अपने दामाद नरादसिंह पँवार को लेकर बिन्द्रावन चली गई। वहाँ जाकर एक ३७ इञ्च सालाना वर्षा होती है। यहाँ की जलवायु मन्दिर बनवाया जो अब भी राज्य की सहायता से चलता गर्म केवल पहाड़ियों पर गर्मियों में अधिक गर्मी तथा है। यहाँ रानी की मृत्यु हो गई । तब वीरसिंह देव ने अपनी जादों में कड़ाके का जाना पड़ता है। अवस्था फिर सुधारनी चाही। जन-संख्या तथा भाषा- इसी बीच पहार सिंह की मृत्यु हो गई। मरने के पहले इस राज्य की जन-संख्या लगभग १,१५,८५२ है। पहार सिंह ने बांदा और अजमयगढ़ गुमानसिंह को और राज्य में केवल विजावर नगर की अन-संख्या ५ हजार से चरखारी खुमानसिंह को दिया । जब जलवायु तथा वर्षा--