पृष्ठ:भूगोल.djvu/१०७

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[वर्ष १६ भूगोल जमीन में सिंचाई होती है। लगभग १४४ वर्ग गुमानसिंह ( १७६१-६२)- मील घने जंगल हैं। १४१ वर्ग मील भूमि १७६३ ई० में शुजाउद्दौला की सेना ने गुमान के ऐसी है जो खेती करने योग्य है। ७५ वर्ग मील राज्य पर हमला किया। पन्ना के राजा सहायता को भूमि बेकार है। दो फसलें खरीफ या सिपारी बुलाए गए। सभों ने मिलकर बैरियों को मार और रबी या अनहारी उगाई जाती हैं। खरीफ में भगाया। फिर १७८६-८० में हिम्मत बहादुर और धान, ज्वार, तिल, उर्द और कोदौं पैदा होती है। अलीबहादुर ने बुन्देल खण्ड की लूट खसोट रबी में गेहूँ, जौ, चना आदि पैदा किए जाते हैं। शुरू की। ईख की भी थोड़ी खेती होती है । बख़्तसिंह ( १६६२-१८३७)- विन्ध्याचल की श्रेणी में हीरा निकाला जाता है । गुमान सिंह १७६२ में मरा । उसके बाद उसका यह हीरा पृथ्वी में गहरे गड्ढे खोदने पर मिलता है। भतीजा बख्तसिंह गद्दी पर बैठा, किन्तु अलीबहादुर यह पत्थर मठ भूमि में पाया जाता है। सालाना. ने उसे निकाल बाहर किया। १८०३ ई. में बुन्देल- इसकी खुदाई का राज्य की ओर से ठीका होता है। खण्ड अंग्रेजों के हाथ आया तो बख्तसिंह ने अपना यहाँ के निवासी गर्मियों में गज़ी गाढ़े के कपड़े बुनते मसला छेड़ा । अंग्रेजों ने ३०,००० रु० सालाना की हैं और जाड़े में कम्बल बनाते हैं। पेंशन मंजूर की । १८०७ में कोटरा और पवाम पर- गेहूँ, चावल, महुवा, हर्रा, चिरौंजी, लाख, गोंद, गनों की सनद अंग्रेजों ने बख्श दो और १८०८ में मोम, शहद, रुई, तेलहन इत्यादि वस्तुएँ लगभग पेन्शेन बन्द कर दी गई। लक्ष्मण दोवा के ठीक- १७ लाख के बाहर भेजी जाती हैं। और नमक, ठीक न चलने पर उसको १८०९ में अंग्रेजों ने चीनी, गुड़, मिट्टी का तेल, कपड़ा और दूसरी बनी निकाल दिया और उसका राज्य भी बख्तसिंह को दे हुई वस्तुएं लगभग २५ लाख की बाहर से मंगाई दिया । अजयगढ़ का किला भी इस समय बख्तसिंह जाती हैं। के हाथ आया। यही अजयगढ़ बाद को राज्य की राजधानी बना। राज्य का संक्षिप्त इतिहास- १८१८ में राजा को एक दूसरी सनद दी गई अजय गढ़ के राजे पन्ना महाराज क्षत्रसाल वंश के हैं । जब महाराज पन्ना ने अपने राज्य को राजाओं की पूरी तौर से जाँच करके राजा को दिए जिसमें कोट, पवाय और अजयगढ़ के परगनों के विभाजित किया तो अपने दूसरे पुत्र जगतराज को ३३ लाख की रियासत दी जिसकी राजधानी जै- गए और तय किया गया कि जब तक राजा या पुर थी। इसमें बाँदा और अजयगढ़ के जिले सम्मि- उसके वंशज अंग्रेज सरकार के साथी रहेंगे तब तक न तो उनसे कुछ मालगुजारी ली जावेगी और न लित थे। जगतराज ने गुमानसिंह को अपना उनके राज्य का भाग ही लिया जावेगा। उत्तराधिकारी बनाया। १८३७ में बख्तसिंह के मरने पर माधोसिंह पहाइसिंह- राजा हुआ। वह भी १८४६ में मर गया। गुमानसिंह अभी लड़का ही था इसलिये उसके महीपति सिंह ( १८४६-५३ )- चचा ने गद्दी छीन ली । गुमान के भाई खुमान ने माधो के बाद महीपत सिंह राजा हुआ। १८५३ जोर मारा और पहाड़ से लड़ाई हुई, किन्तु कोई में उनका देहान्त हुआ तो उनका पुत्र विजय सिंह लाभ न हुआ । १७६१ में पहाड़सिंह बीमार पड़ा। राजा हुआ, किन्तु दो साल बाद वह भी इस दुनिया उसने खुमानसिंह और गुमानसिंह दोनों को काला से चल बसा। पहाड़ पर मिलने के लिये बुलाया । और गुमानसिंह इस समय कोई भी वंश वाला गद्दी का हकदार को बाँदा व अजयगढ़ दिया, खुमान को चरखारी न रह गया था इस लिये यह प्रश्न बोर्ड ऑफ का राज्य दिया। डाईरेक्टर्स के पास भेजा गया। इसी समय देश में के