पृष्ठ:भूगोल.djvu/१०८

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अक्क १-४] अजयगढ़ बलवा हो गया । १८५७ में बलवा के प्रारम्भ होते शासन विभाग- ही विधवा रानी ने मिस्टर चेस्टर बाँदा के कलक्टर की सहायता के लिये बन्दूकें, २०० दियासलाई राज्य ५ तहसीलों में बँटा है । राजधानी व मुख्य लगाने वाले और कुछ घुड़सवार भेजे । दफ्तर अजयगढ़ में है। अजयगढ़, बगल, बरवारा, रणजोरसिंह (१८५८) गंज और महेवा ये पाँचों तहसीलें हैं। विजयसिंह के दोगले पुत्र रणजोरसिंह गद्दी पर राजा, दीवान, नम्बरदार और पंचायतों द्वारा बैठाये गये । १८७७ में रानी की सहायता का ध्यान शासन करता है। राजा के पास ७५ सवार, ३५० रखते हुये गोद लेने की सनद राजा को अंग्रेजों से पैदल और ४४ बन्दूक चलाने वाले हैं। । बन्दुक्क मिली । राजा दिल्ली असेम्बुलेन गये। वहाँ उन्हें हैं, ७० पुलिस व २११ चौकीदार हैं। सवाई की पदवी मिली । महाराज बड़े बुद्धिमान और विद्वान् हैं । राजा ने बहुत सी पुस्तकें "ग़दर, आय-व्यय- चीते का शिकार" आदि लिखी हैं । १८८७ में राजा को डायमुल हप्स और फाँसी के मामलात में भी राज्य की आय ३,६४,००० रु. है। अख्तियार दिया गया। १८६७ में राजा को के० सी० यहाँ के वर्तमान नरेश हिज़ हाईनेस महाराजा आई० ई० की उपाधि मिली। सवाई भूपालसिंह बहादुर (बुन्देला) हैं। आपको राजा के तीन पुत्र हैं। सबसे बड़े पुत्र राजा बहा- ११ तोपों की सलामी लगती है। आप चेम्बर आफ दुर भूपालसिंह १८६६ में पैदा हुये। प्रिंसेज के मेम्बर हैं।