पृष्ठ:भूगोल.djvu/११७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नरसिंहगढ़ - इस राज्य के संस्थापक परसराम के इष्टदेव नृसिंह जी और डाक बंगला है। राज्य की आमदनी ७,४२,००० है और थे। इसी से इसका नाम नृसिंह या नरसिंहगढ़ पड़ गया। इस खर्च ४ लाख है। इस राज्य की सोमा राजगढ़ राज्य से समय भी यहाँ नृसिंह जी का मन्दिर है। नृसिंहगढ़ राज्य इस प्रकार मिली हुई है कि नकशे में यह बहुत ही जटिल का क्षेत्रफल ७३४ वर्गमील है और जन-संख्या १,१३,८७३ मालूम होती है। फिर भी इसके उत्तर में राजगढ़, खिल्चीपुर है। इस राज्य का प्रायः सभी भाग मालवा पठार पर स्थित और इन्दौर राज्य हैं। दक्षिण में ग्वालियर और भोपाल है। केवल कुछ भागों में विन्ध्याचल की बाहरी पहाड़ियाँ राज्य हैं। पूर्व की ओर मकसूदनगढ़ और भोपाल है। । एक पहाड़ी पर नृसिंहगढ़ का किला बना हुआ है । पश्चिम की ओर ग्वालियर और देवास राज्य हैं। नरसिंहपुर इसकी सब से ऊँची चोटी १८६० फुट है। इस राज्य की के शासक राजगढ़ के शासकों की तरह उमात राजपूत हैं प्रधान नदी पार्वती, कालीसिन्ध है । पार्वती नदी पूर्वी सीमा और उमातसिंह या उमाजी के वंशज हैं। के पास होकर बहती है। कालीसिन्ध की सहायक नदी अमर और समर दो भाई थे। वे राजपूताना और मेवाज है। छोटी-छोटी नदियाँ सूकर और दूधी हैं। इस सिन्ध के रेगिस्तान में रहते थे। अमरकोट के प्रसिद्ध किले राज्य का बहुत बड़ा भाग खुला हुआ लहरदार मैदान है। का नाम इसी से पड़ा । उमात राजपूत उन्हीं की सन्तान हैं। यह काली मिट्टी से ढका हुआ है। इसमें ज्वार, बाजरा, मालवा का उमतवाड़ा प्रदेश उन्हीं की स्मृति का सूचक है। मकई, गेहूँ, गमा, कपास, अफ्रीम आदि तरह-तरह की १२२६ ई० में इन्हें परमार राजपूतों से हारना पड़ा। फिर भी फसलें होती हैं । इस राज्य में लगभग १४० वर्ग मील बन १३५१ ई. तक राज करते रहे । चित्तौड़ के राना ने इनको है। कुछ भागों में केवल घास उगती है.और जानवर पालने रावत की पदवी दी। सिकन्दर लोदी के समय में रावत के काम आती है । केवल अफ्रीम ( पोस्त ) और गन्ने के करन सिंह उज्जन का सूबेदार था। रावत कृष्ण सिंह के खेतों को सींचने की जरूरत पड़ती है। मरने पर उनका बड़ा बेटा डूंगर सिंह उत्तराधिकारी हुआ। इस राज्य में एक भी रेलवे नहीं है। यदि भिलसा से डूंगर सिंह ने दूंगरपूर गाँव बसाया जो राजगढ़ से १२ मील नागदा-मथुरा लाइन को मिलाने के लिए रेल खुली तो यह दक्षिण पूर्व की ओर है । वह शाही सेना से लड़ता हुआ नरसिंहगढ़ राज्य में हो कर जायगी। प्रधान पक्की सड़कें दो स्वर्ग गति को प्राप्त हुआ। आगे चल कर इन्हीं के वशंज हैं। एक आगरा से बम्बई को जाती है। दूसरी सीहोर से परसराम ने नरसिंहगढ़ नगर बसाया और १६८१ ई. में न्यानोरा को जाती है। इसी नाम के राज्य की नींव डाली। १७६१ ई० में यहां नरसिंह नगर को इस राज्य के संस्थापक परसराम ने मरहठों का जोर बढ़ गया और यहां के राजा को होल्कर १६८१ ई० में बसाया था। यह स्थान समुद्र तल से १६५० महाराज को कर देना पड़ा । १८२४ ई. में यहाँ के वीर फुट ऊँचा है । यह नगर व्याअोरा-सीहोर सड़क पर स्थित है राजा चैनसिंह ने अंग्रेजों का मुताबिला किया और लगाई और सीहोर से ४४ मील दूर है। एक मील के पास नगर में मारा गया। १८७७ ई० में जिस समय दिल्ली दरबार का दृश्य बड़ा सुन्दर है । जिस घाटी में नगर बसा है वह चारों हो रहा था उसी समय यहाँ के राजा प्रताप सिंह सीहोर ओर से पहाड़ों से घिरी हुई है। एक पहाड़ी पर किला बना (मालवा) के दरबार में शामिल हुए। इन्होंने महारानी हुआ है। दो पहाड़ियों पर महादेव और हनुमान जी के मन्दिर विक्टोरिया से भी भेंट की थी। हैं। वर्षा काल के बाद हरियाली हो जाने पर दृश्य और भी वर्तमान नरेश हिज़ हाईनेस राजा विक्रम सिंह (उमत अधिक मनोहर हो जाता है। यहां लगभग १०,००० मनुष्य राजपूत) हैं। आपको ११ तोपों की सलामी दी जाती रहते हैं । यहीं विक्टोरिया हाई स्कूल, अस्पताल, कोतवाली है और भाप चेम्बर माफ प्रिन्सेज़ के मेम्बर हैं। 1