पृष्ठ:भूगोल.djvu/११८

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सैलाना सीमा तथा क्षेत्रफल- निकल कर पश्चिम की ओर घूम जाती है और जस- सैलाना नामक प्रधान नगर पहाड़ी के मुख वन्त निवास महल के नीचे होकर बहती है। इनके (नीचे ) पर बसा है। इसी नगर के पीछे इस राज्य सिवा सिमकोदी और रतनागिरी नदियाँ हैं जो का नाम सैलाना पड़ा। यह राज्य छोटे मोटे बहुत मिलकर १५ मील तक बहती हैं और सिंचाई का से छिटके हुए. भागों से मिल कर बना है। यह काम देती हैं। जंगलों में छोटे छोटे वृक्ष और टुकड़े इस्लाम राज्य से इस प्रकार मिले हैं कि झाड़ियाँ हैं । काले हिरन, तेंदुवा, रीछ, भेड़िया आदि इसकी सीमा ठीक ठीक नहीं बताई जा सकती। तो जानवर बनों में पाए जाते हैं । भी | इस राज्य के भिन्न भिन्न भाग गवालियर, इन्दौर, संक्षिप्त इतिहास- धार, झाबुआ, जोरा, बांसवारा और कुशलगढ़ यहाँ के राजा राठौर घराने के हैं। यह रतलाम राज्यों से मिले हुए हैं। इस राज्य का क्षेत्रफल राज्य के रतनावत या सतवात शाखा से हैं। उदय- लगभग २६७ वर्गमील है। सिंह के वंशज दलपत सिंह के पुत्र महेश दास के बड़े पुत्र रतन सिंह थे। शाहजहाँ बादशाह के समय प्राकृतिक विभाग- प्राकृतिक रूप से राज्य के दो भाग हैं । पूर्वी मालवा में उन्हें कुछ भूमि मिली। रतलाम नामक में रतन सिंह ने उन्नति की और १६४८ के लगभग बड़ा भाग मालवा के पठार में है। राज्य का यह भाग चौड़ा, ढालू और खुला हुआ है। यहाँ वहाँ गाँव में रतन सिंह ने डेरा जमाया और रतलाम निचली समतल पहाड़ियाँ हैं । भूमि बड़ी ही में रतनसिंह उज्जैन (धर्मतपुर ) के युद्ध में मारे नामक राज्य की नींव डाली । २० अप्रैल सन् १६५८ उपजाऊ है और कृषक बड़े ही चतुर हैं। राजधानी से पश्चिम दूसरा भाग है । यह भाग गए । उनके बाद रामसिंह (१६५८-८२), शिवसिंह पूर्वी भाग से बिलकुल अलग है। यह लगभग पहा- ( १६८२-८४ ), केशवदास (१६८४), छत्रसाल ड़ियों, जङ्गलों और नदियों से भरा है। यहाँ की (१६८४ ) आदि राजा हुए । १७०८ में छत्रसाल ने भूमि पहाड़ी और कम उपजाऊ है । भील जाति यहाँ बड़े पुत्र हेतसिंह के मर जाने से दुखित हो राजपाट छोड़ दिया। के मुख्य निवासी हैं। उनके खेती करने की विधि भी पूर्वी लोगों से अलग है। यद्यपि सारा का जैसिंह ( १७३०-५७)- सारा पश्चिमी भाग पहाड़ी है तो भी अधिक ऊँची छत्रसाल ने अपना राज्य तीन भागों में विभा- पहाड़ियाँ नहीं हैं। केवल कवलखा माता की पहाड़ी जित किया-केशरीसिंह को रतलाम, प्रताप सिंह को १६२६ फीट ऊँची है। चोटी पर कवलखा देवी रावती ( सैलाना ) और हेत सिंह के पुत्र वैरीसाल का मन्दिर है। को धामनौद का राज्य दिया। किन्तु झगड़ा पड़ गया राज्य में होकर केवल दो नदियाँ माही और और वैरीसाल अपनी जागीर केशरी सिंह को सौंप मलेनी बहती हैं। माही अमझेरा ( ग्वालियर ) के जैपुर चला गया । तब केशरी सिंह और प्रताप सिंह समीप से निकल कर बजरङ्ग गढ़ गाँव होकर पश्चिम में बड़ा वैमनस्य पैदा हो गया। अन्त में १७८६ में की ओर घूम जाती है। यह नदी केवल पानी पीने केशरी सिंह मारे गए । केशरी के छोटे पुत्र जैसिंह ने के काम आती है। मलेनी सैलाना नगर के दक्षिण से अपने बड़े भाई को दिल्ली से बुलाया और दोनों ने