पृष्ठ:भूगोल.djvu/१२८

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अङ्क १-४] अलीराजपुर और जंगली वस्तुओं द्वारा अपना जीवन व्यतीत रूपदेव ( १७७१-८१)- करती हैं। १८८१ ई० के बाद विजयसिंह राजा हुआ । इस राज्य का संक्षिप्त इतिहास- समय राना के बैरियों ने राज्य में उपद्रव किया,किन्तु अलीपुर राज्य के शासक राठौर घराने के राज- जान बुडुल्फा ने सेना ले जाकर सब को दबा दिया। पूत हैं। पहले पहल दीपसेन मोतीमोल नामक गाँव परगना भावरा में आकर बसे । उन्होंने एक गढ़ प्रतापसिंह (१८६१)- बनाया जिसके खंडहर अब भी मौजूद हैं । १८१२ ई० में विजयसिंह मरे । उनके बाद कोई उसके बाद इस वंश की इक्कीसवीं पीढ़ी में उदयदेव उत्तराधिकारी न होने के कारण प्रतापसिंह गद्दी पर या आनन्ददेव पैदा हुए और अली का किला बैठे । इनको भारत सरकार ने स्वयं अपनी राय से बनवाया । इस समय भारत में सैयदों का राज्य था। गद्दी पर बैठाया । महाराज प्रतापसिंह भगवानसिंह आनन्ददेव के बाद गूगलदेव राजा हुए। गूगलदेव साँडवाना के पुत्र हैं । १२ सितम्बर सन् १८८१ ई० के बाद छठी पीढ़ी में दीपदेव और सबलदेव हुए। में आप पैदा हुए और १० जून सन् १८६१ ई० में सबलदेव ने सोंडवा ठाकुर वंश की नींव डाली। गद्दी पर बैठे । आपने डेली कालेज इन्दौर में शिक्षा वर्तमान राजा इसी वंश के हैं। पाई। १६०१ ई० में नानपुर और खतसाली के जसवन्तसिंह (१८१८-६२)- परगने प्रयोग के रूप में आपके हाथ सौंपे गए। मकरानी मुसाफिर राना के समय में मंत्री के १६०२ ई० में राजा अव्वल दर्जे के मजिस्ट्रेट बनाए पद पर था इसलिये जसवन्तसिंह के बचपन काल गए । १६०४ ई० में राज्य की बागडोर भी हाथ में में राज्य की बागडोर उसी के हाथ रही। केसरीसिंह दे दी गई। राजा प्रतापसिंह मंत्री की सहायता से ने गद्दी लेनी चाही और उपद्रव किया, किन्तु अंग्रेज राज्य करता है। राजा की सहायता के लिये १० सरकार ने जसवन्तसिंह का साथ दिया। १८५७ ई० सवार एक दफादार और लगभग २०० पुलीस हैं । में राज्य में कोई खास घटना नहीं हुई। राजा राज्य की जनसंख्या १,०१,६६३ है और सालाना आय अंग्रेजों का सहकारी बना रहा। १८६२ ई० में राजा ५,०६,००० रुपये है। जसवन्तसिंह की मृत्यु हो गई और गंगादेव गद्दी वर्तमान नरेश हिज हाईनेस राजा सर प्रताप पर बैठा, किन्तु अयोग्य होने के कारण अंग्रेजों ने सिंह के सी० आई० ई० हैं । आप चैम्बर आफ निकाल दिया और छोटे भाई रूपदेव को राज्य प्रिन्सेज के मेम्बर हैं और ११ तोपों की सलामी सौंपा गया। आपको लगती है।