पृष्ठ:भूगोल.djvu/१४

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ग्वालियर राज्य मध्य भारत एजेन्सी में ग्वालियर गज्य सबसे पर्वत शाखा उज्जैन और नीमच जिलों में होकर अधिक बड़ा है। इस राज्य का क्षेत्रफल २५०४१ वर्ग पहली शाखा के समानान्तर चलती है। नर्मदा के मील है । वास्तव में यह गज्य दो भागों में बँटा हुआ उत्तर में विन्ध्याचल की प्रधान श्रेणी राज्य का जल- है। उत्तरी भाग को बलियर और दक्षिणी भाग को विभाजक बनाती है । प्रायः मभी नदियां उनर की मालवा कहते हैं। उत्तरी भाग के प्रदेश बिल्कुल एक ओर बहती हैं । चम्बल नदी इन सब में अधिक प्रसिद्ध दूसरे से मिले हुये हैं। इन सब का क्षेत्रफल १७०२० है। कीलो. मिन्ध, क्षिप्रा, पश्चिमी पार्वती इसकी वर्ग मील है। इस भाग के उत्तर पूर्व और उत्तर महायक नदियां हैं। बेतवा, सिन्ध और इसकी महा. पश्चिम में चम्बल नदी है। यह नदी इस राज्य म यक पूर्वी पार्वती कुवारी दूसरी नदियाँ हैं । आगरा और इटावा जिलों तथा धौलपुर, करौली भौगर्भिक रचना के अनुसार ग्वालियर राज्य और जयपुर गज्यों से अलग करती है। इस राज्य के चार भागों में बटा हुआ है। पहले भाग में ग्वालियर पूर्व में जालोन, झांसी और सागर जिले हैं। इसके वास है। यहां विन्ध्या की कई श्रेणियाँ उत्तर से दक्षिण में भोपाल, किल्चीपुर, राजगढ़ और टोंक दक्षिण को जाती हैं। उत्तरी भाग में वे उत्तर-पूर्व की (मिरोज ) राज्य हैं। ओर मुड़ कर चम्बल नदी की समानान्तर हो जाती माल्वा का क्षेत्रफल कंवल ८०२१ वर्ग मील है। हैं । चार प्रधान श्रेणियों के ऊपर बलुआ पत्थर की यह दूर दूर बिखरे हुये कई भागों में बना है। इन भारी भारी तहें जमी हुई हैं । चौथी श्रेणी के आगे भागों के बीच बीच में दूसरो रियासतें आ गई हैं। चम्बल के समीप कछारी मिट्टी से ढकी हुई है। इस इस राज्य में तीन प्राकृतिक विभाग हैं। कछारी मिट्टी के नीचे सिर चट्टानें छिपी हुई हैं। ( १ ) मैदान का प्रायः समतल प्रदेश ग्वालियर चम्बल नदी में कुछ चट्टाने ऊपर निकल आती हैं शहर के उत्तर-पूर्व और पश्चिम में स्थित है। ग्वालि इनके पड़ोस में चूने का पत्थर है । यर राज्य के गिर्द, तोवरगढ़ भिंड और शिवपुर जिल २६ उत्तर। अक्षांश के उत्तर में कैमर का बलुआ मैदान में ही स्थित हैं । इस प्रदेश की उँचाई समुद्रतल पत्थर विल्लौरी चट्टानों के ऊपर नहीं मिलता है । इधर में ५०० और ९०० फुट के बीच में है वह कछारी धरती में धंसा हुआ है । ये चट्टानें विन्ध्या- (२) पठार-ग्वालियर शहर के ८० मील दक्षिण चल से भी अधिक पुरानी हैं । ये बुन्देल खंड की में जामीन एकदम ऊँची होने लगती है। अन्त में विजावर चट्टानों में मिलती हैं इसीलिये इन्हें बिजावर मालवा का पठार आ जाता है । इस पठार की औसत भी कहते हैं । भूगर्भवेत्ताओं का अनुमान है कि बिजा- उचाई १५०० फुट है। इस प्रदेश का क्षेत्रफल १७८५६ घर चट्टाने विन्ध्याचल का सृष्टि के पहले ही मौजूद वर्ग मील है। वास्तव में ग्वालियर राज्य की ७० फी थीं। इनकी सबसे निचला तहों में सफेद पत्थर मदो जमीन पठार में ही स्थित है। ( क्वार्टज ) के जड़े हुये टुकड़ों के ऊपर बलुआ पत्थर ( ३ ) पहाड़ी भाग-अमझेरा जिले में हैं। इस की तह हैं। इस को अक्सर पार पत्थर कहते हैं । का औमत उँचाई १८०० फुट है वैसे यहाँ ऊँचे पहाड़ पार क़स्बा ग्वालियर से पन्द्रह मील दक्षिण-पश्चिम । और नीची घाटियाँ भी हैं। वे अधिकतर जंगल से की ओर इन्हीं पहाड़ियों की तलहटी में बमा है। ढके हैं । पहाड़ी भाग का क्षेत्रफल केवल १३०१ नोम व प्रदेश में कई तरह की चट्टानें हैं । पर वर्ग मोल है । विन्ध्याचल पर्वत की दो शावायें ग्वालि- इनका अभी पूरा पता नहीं लगाया गया है । इधर । यर राज्य को पार करती हैं। एक शाखा भिलसा दक्षिण का काला आग्नेय पत्थर बहुत है । उत्तर की ओर चल कर राज्य के मध्य भाग को पार अधिक दक्षिण में नर्मदा के समीप बलुआ पत्थर करती हुई ग्वालियर शहर तक आती है। दूसरी की दोरहों के बीच में समुद्रो जानवरों के ढाँचे मिले