पृष्ठ:भूगोल.djvu/१४४

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अङ्क १.५] पोरबन्दर राज्य अपने पिता के अधिकांश भाग पर राज्य करने लगा। १८२२ में दूसरी संधि हुई। जिसके अनुसार जगजीवन जो फतेह मुहम्मद का प्रधान मंत्री था। जो जगहें अंग्रेज सरकार को मिली थीं। उसे राव उसने भी कुछ भाग पर अधिकार जमाया । इस को वापस दे दिया गया । और राव ने कुछ सालाना प्रकार हिन्दू और मुसलमानों में झगड़ा हो गया। अँग्रज सरकार को देने को कहा। कुछ समय के बाद जगजीवन मारा गया । तथा अरब देसाल जी द्वितीय ने सती, गुलामों की तिजारत और दूसरे सरदार दरबार से निकाल दिये गये। और छोटे बच्चों के मारने की बुरो प्रथाओं को राज्य इसी बीच इब्राहीम मिया, हसन के भाई की भी किसी से निकलने में बड़ा प्रयत्न किया। अब ये बुरी प्रथाएँ ने हत्या कर डाली । राज्य में बड़ो क्रान्ति फैल गई वहां नहीं के बराबर है । इसके बाद महाराज प्रागमल और कुछ समय तक मार काट के बाद भरमूल जो जी गद्दी पर बैठे। यह एक बड़े अच्छे शासक थे । राव गद्दी पर बैठे। इन्होंने मांडवी में एक हार्बर और रिजखायर बनाया। भरमूल जी की बढ़ती हुई ताकत देख कर अंग्रेजों १८७६ में महाराजा राव लंगर जी त्रितीय राजगही से न रहा गया । और उन्होंने १८१५ ई० में १०,५०० पर बैठे। आप को शिक्षा सम्बन्धी बातों का बड़ा की एक सेना भेजी। जब यह सेना भज राजधानी के चाव है और आप ने शिक्षा के प्रचार के लिये बड़ा समीप पहुँची तो संधि हो गई। जिसके अनुसार प्रयत्न किया । भरमूल जी राजा बनाया गया । अन्जार दूसरे वर्तमान नरेश हिज हाईनस महाराजाधिराज आधीन प्रदेशों के साथ अंग्रेजों को दिया गया। मिर्जा महाराव श्री सर खेन्गारजी सवाई बहादुर किन्तु शो के पूरा न होने पर १८१९ में उसका पुत्र जी० सी० एस० आई० जी० सी० आई० ई० हैं। (बालक) देशाल जी द्वितीय गद्दी पर बैठाया गया। आपको १७ तोपों की सलामी दी जाती है। पोरबन्दर राज्य यह राज्य काठियावाड़ के दक्षिण में स्थित है। राना साहब श्री सर नटवरसिंह जी बहादुर के० सी० अरब सागर के किनारे किनारे यह एक लम्बी पट्टी है एस० आई० प्राचीन जेनवस राजपूत हैं। आपने जो कहीं भी २४ मील से अधिक चौड़ो नहीं है । बढ़ी राजकुमार कालेज में शिक्षा प्राप्त की । १९१८ में डिप- पहाड़ी से पूर्व की ओर यह ढालू है। तटीय सीले लोमा की परीक्षा में आप प्रथम हुए। आपका ब्याह स्थान "घेड" कहलाते हैं। बाकी भूमि समतल है। रूपलिव साहब एम० बी० ई० सुपुत्री महाराज लिम्बी भदर, सोरती, मिन्सर और औजात यहां की प्रधान हुश्रा। श्राप कई बार महारानी साहबा के साथ नदियां हैं। योरुप गये। १९३२ में आप भारतीय क्रोकेट टीम इस राज्य का क्षेत्रफल ६४२ वर्गमील और जन- लेकर इंगलैंड गए । संख्या १,१६,००० है। यहां की मुख्य उपज ज्वार, १८ वर्ष के शासन बाद आपने आज प्रजा के बाजरा, चना, जौ, तेलहन और नमक है। यहां चूना अन्तःकरण में अपना स्थान बना लिया है। आपने भी निकलता है। यहां की जलवायु अच्छी है और प्रजा की दशा सुधारने के लिये बहुत से सुधार किए । सालाना वर्षा २५ से ३० इंच तक होती है। यहां की १५३६ से आपने लोगों की एक सभा बनाई है जो राजधानी पोरबन्दर समुद्र तट पर है और रेलवे द्वारा राज मंत्री कहलाते हैं। यह लोग शासन प्रबन्ध और राजकोट से मिला हुआ है। यहां के प्रधान बन्दरगाह प्रजा के दुःख निवारण कार्यों में राजा का हाथ बटाते पोरबन्दर, नवी बन्दर, माधौपुर और मित्रानी हैं। हैं । राजा स्वार्थ बहुधा देहात में जा जा प्रजा की दशा यहां के वर्तमान शासक हिज हाईनेस महाराजा का अनुमान करता है और जो कुछ प्रजा-कष्ट उसे