पृष्ठ:भूगोल.djvu/१४५

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१४४ भूगोल [वर्ष १६ दीख पड़ता उसके निवारण का प्रयत्न आप शीघ्र दस सालों के अन्दर राज्य के बड़े २ महानुभाओं करते हैं । कुँआं इत्यादि के लिये सहायता राज की और दानियों ने १ करोड़ रु. प्रजा कार्य के लिये ओर से दी जाती है। कर्ज का बोझ हलका करने के दिया है । यहां लड़कियों के लिये एक आर्य महिला लिये १९३० में अग्रीकलचरिस्ट एक्ट और लड़कपन विद्यालय है । पोर बन्दर में इम्पीरियल बैंक की एक का ब्याह रोकने के लिये चाइल्ड मैरेरिस्ट्रन्ट ऐक्ट शाखा है । इसके सिवा राज्य के भी बैंक हैं। पास किए गए हैं। प्रजा को हर प्रकार से उन्नति करने पोर बन्दर में म्युनिसिपैल्टी है यह नगर का के लिये राज्य-बैंक से रुपया मिलने की अच्छी सुविधा प्रबन्ध करती है और अपने प्राय-व्यय का भी स्वयं कर दी गई है। नगर के टैक्स से ही प्रबन्ध कर लेती है। यहां इन्डि- भारत में यह एक प्रधान सामुद्रिक राज्य है। यन सिमेन्ट बनती है और प्रत्येक सप्ताह में ७०० टन पोरबन्दर के जहाज बनाने वाले कारीगर प्रसिद्ध हैं सिमेन्ट तयार होती है । यहां पर एक महाराना स्पि- और वहां के व्यापारियों के जहाज दूर दूर तक यात्रा निंग ऐन्ड वीविंग मिल है। पोरबन्दर के पत्थर भारत कर आए हैं । यहां से कपास मूग फली, नमक, घी, में ही नहीं वरन् घरमा और सीलोन में हैं। अफ्रीका सिमेन्ट, चूना आदि प्रधान वस्तुएँ बाहर भेजी जाती और अरब में भी प्रसिद्ध हैं। यहां पर दियासलाई हैं और चीनी, बिसात खाने का सामान, मिट्टी का बनाने का भी कारखाना है। ये सभी उन्नतियां महा- तेल, लोहा, फौलाद, खजूर, नारियल और रसाइन कारण ही हुई। वस्तुएँ बाहर से आती हैं। यहां का राज्य प्राचीन ढंग पर चल रहा है यहां शिक्षा का प्रबन्ध बहुत अच्छा और नए ढंग पर की प्रजा अपने शासक की बड़ी ताबेदार है। यहां के हो रहा है । यहां बनारस यूनिवर्सिटी के संस्कृत परीक्षा निवासी पहले से ही बड़े चतुर और व्यापारिक रहे का केन्द्र है। स्वयं महारानी साहबा ने स्कूलों की हैं। वे प्रायः नई दुनिया में फैले हैं। पोरबन्दर के इमारतों के बनाने के लिये ६ हजार रुपये दिये हैं। निवासी पूर्व और दक्षिणी अफ्रीका, मिस्र, फ्रान्स, भावसिंह जो अस्पताल जो पोरबन्दर में सब से पहला ... अबीसीनिया, लंका, जावा, चीन, जापान, फिजी आदि भारत का अस्पताल है जहां बड़े र चीरफाड़ का कार्य स्थानों में व्यापार करते मिलेंगे। बिजली द्वारा होता है और दूसरे बहुत से अस्पताल १९३६ में लार्ड विलिंग्डन पोरबन्दर गए और वहां प्रजा की सहायता के लिये राज्य में स्थापित हैं । पिछले राजा के सुन्दर शासन को देख कर बड़े प्रसन्न हुए । ईदर राज्य पश्चिमी देशी राज्यों में ईदर का दूसरा नम्बर दृश्य बड़ा ही मनोहर हो जाता है। यहां की भूमि है । इसको 'नानी मारवाड़' भी कहते हैं । यह उपजाऊ है। यहां की मुख्य उपज अनाज, तेलहन गुजरात के उत्तर में स्थित है इसके उत्तर में सिरोही और ऊख है। यहां मकान बनाने के पत्थर निकाले तथा मेवाड़, पूर्व में डुंगरपुर और दक्षिण-पश्चिम जाते हैं। राज्य की राजधानी ईदर नगर है। में अहमदाबाद का जिला और बड़ौदा राज्य है। यह राज्य बड़ा हो प्राचीन है । यहां शताब्दियों इसका क्षेत्रफल १,६६९ वर्गमील है और जनसंख्या कन्नौज के गजा जयचन्द के बंशज राज्य करते २,६२,६६० है । राज्य की सालाना आमदनी २१ लाख रहे । इसी बंश के शासक जोधपुर, बीकानेर, रतलाम है। इस राज्य का दक्षिणी-पश्चिमी भाग रेतीला और दूसरे र ठौर राज्यों में हैं । जोधपुर घराने के समतल मैदान है, शेष भाग में पहाड़ियाँ और बन हैं। आनन्द सिंह जी और राय सिंह जी दो भाइयों ने थे बन झाड़ झक्काड़ों से घिरे हैं । वर्षा ऋतु में यहाँ का १७२९ में इस राज्य को जीता । १९०८ ई० में