पृष्ठ:भूगोल.djvu/२०

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अङ्क १-४ ग्वालिया राज्य १९ मुहल्ला सबसे ऊँचा भाग है । बहुत से घरों के छज्जों गढ़-एक पहाड़ी जागोर है। पर बड़ा बढ़िया काम है। जहां पहले महाकाल वन था खानियाधान-एक छोटी रियासत है। वहीं महाकाल का मन्दिर है। इसके पास ही पुराना पेरन या नरवर-कछवाहे राजपूतों की रियासत है। महल है जहां पहले श्रीमान दौलतराव सिन्धिया महा राघोगढ़ राज्य-रेजीडेण्ट के अधीन है। पार्वती राज रहते थे। वहां हर बुधवार को एक बड़ा बाजार नदी से।इम राज्य में सदा पानी मिलता रहता है। यहीं लगता है। शिवरात्रि, वैशाखी और कार्तिकी पूर्णिमा को प्रसिद्ध पृथ्वीराज चौहान के वंशज राज करते हैं। यहाँ बड़ा मेला लगता है। हर बारहवें वर्ष यहाँ सिंहाष्ट गोहद नगर सिन्ध की सहायक वैशाली नदी के उत्सव सब से बड़ा होता है। उज्जैन एक पुराना तीर्थ दाहिने किनारे पर स्थित है । यह तीन दीवारों मे घिरा - रावा शिव minापा -मीमा मे५००भक १५०तक- ग्वालियर राज्यबी सीमा Suvi2016/... जी-आईपी ओलये २.अधिक बी.जी.एन्ड सीमा HOPी समरेनये--सा मध्य भारत अरोजी है । पहले यह अवन्ती या अवन्तिका पुरी नाम से हुआ है । सब से भीतरी दीवार के अन्दर पुराना प्रसिद्ध था। आर्य ज्योतिषियों और भूगोल-वत्ताओं किला है जिसे जाट सरदार राना भीमसिंह ने १७३९ ने प्रथम देशान्तर ( मध्यान्ह ) रेखा यहीं स्थापित की ई० में बनवाया था। यहीं एक बड़ा महल है जिसे थी। यहां के राजभोज का नाम मारे हिन्दुस्तान में राना छत्रपति सिंह ने बनवाया था । यहाँ की इमारतों प्रसिद्ध है। पर बड़ा बढ़िया काम है। मोरार-ग्वालियर की एक प्रसद्ध छावनी है। गुना --एक ब्रिटिश छावनी है जो इसागढ़ जिले में भदौरा की छोटी जागीर बहुत पुरानी है । हिम्मत स्थित है । श्रागग से बम्बई जाने वाली पक्की सड़क ६ सेप्लोदिया के सुपुत्र जगतसिंह से सेसोदिया ने यहाँ होकर गुजरती है । यहाँ रेलवे स्टेशन भी है। ७२० ई० में इसे लिया था। उमरी की जागीर भो खाचरोद-उज्जैन जिले में लकड़ी की रंगाई इसी वंश के हाथ में है। और तम्बाकू के लिये मशहूर है ।