पृष्ठ:भूगोल.djvu/२१

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२० । भूगोल [वर्ष १६ महाराजपुर-तोंवर गढ़ जिले में एक ऐतिहासिक ग्वालियर नरेश हिजहाईनस जी महाराजा नगर है । १८४३ ई० में यहाँ की फोज़ अंग्रेजी सेना जीवाजी राव सिंधिया १९१६ में पैदा हुए । श्राप का के साथ बड़ी बहादुरी से लड़ो । उसी दिन यहाँ से गज्याभिषेक १९३६ के सितम्बर महीने में हुआ और १० मील की दूरी पर पनियार में एक छाटी लड़ाई आप ने राज्य शासन की बागडोर नवम्बर १९३६ में हुई। अपने हाथों में ली । २२ वर्ष की अवस्था होते हुए मन्दसौर को पुराने समय में दशपुर कहते थे । भी आप के कार्य महान हैं । राज्य प्रबन्ध के दैनिक यहाँ के एक शिलालेख में लिखा है कि कुमार गुप्त ने कार्यक्रम के निरीक्षण तथा सारी प्रजा के लाभ और यहाँ एक मन्दिर बनवाया था। चौदहवीं सदी में अला. सुख के लिये नई योजनाओं को कार्य रूप में परणित उद्दीन खिलजी ने एक किला बनवाश तब से यहाँ करने में श्राप ने अपनी चतुरता और विद्वता का मुसलमानी बस्ती बढ़ गई । इस के पास ही हिमायूं ने अच्छा परिचय दिया है। आपके पास जब मन्त्रीगण वहादुरशाह को हराया था। अठारहवीं सदी से यह कोई राजसम्बन्धी कार्य लाते हैं तो आप एक अनु- नगर सिंधिया महाराज के अधिकार में है। महीदपुर भवी शासक की भांति उस मामले की बड़ी कड़ी की लड़ाई के बाद महाराज होलकर और अंग्रेजों के छानबीन करने के बाद अलग करते हैं। आफिस के बीच में यहीं मन्दसौर में सन्धि हुई थी। कार्यो को करते समय आप को नजर सख्त रहता तोमरगढ़ ग्वालियर शहर के उत्तर में स्थित है। है किन्तु बाहर श्राप सभों से स्वतन्त्रता और प्रसन्नता यहाँ अधिकतर तोंवर ठाकुर रहते हैं । इसीलिये यह के साथ भली भांति मिलते जुलते हैं। इन्हीं कारणों नाम पड़ा। इधर ही सिकरवाड़ी है। यहाँ सिकरवार सं भारतीय राज्यों में आप का मान राज्य अन्दर राजपूत रहते हैं। इनकी कहानी बड़ो विलक्षण है। और बाहर सर्वश्रेष्ठ है। आप के साथ ग्वालियर मुसलमानी समय में इनके राजा अलवर में राज्य में एक नये युग का प्रवेश हुआ है। आप अपने पिता करते थे । मुसलमान बादशाह ने राजा की लड़की के सुयोग्य पुत्र हैं और उनके प्रारम्भ किये हुये से ब्याह करना चाहा । इनकार करने पर राजा के कार्यो की पूर्ति बड़ी सावधानी से कर रहे हैं । ग्वालियर कुटुम्बी लोग तलवार के घाट उतारे गये । कुछ लोगों का ऐसे शामक पाने का बड़ा गर्व है। को फतेहपुर सीकरी के शेखों ने शरण दी। इसी से ये महाराजा सिंधिया के अधिकार राज्य में सर्वोपर लोग सिकरवारी कहलाने लगे। हैं किन्तु इन अधिकारों का प्रयोग कानून बनाने वाली भिंड-३सी नाम के जिल का प्रधान नगर है । शासन करने वाली तथा न्याय करने वाली संस्थाओं सीउनी नगर नरवर जिले का प्रधान नहर ओर छोटी द्वारा होता है। राज्य शासन आठ भागों में विभाजित लाइन का अन्तिम स्टेशन है । चन्देरी और नरवर है और प्रत्येक विभाग एक मन्त्री के श्राधीन है। दूसरे नगर हैं । चन्देरा का पुराना किला नगर कानून बनाने वाली एक सभा है, जिसमें प्रजा के चुने फुट ऊँचा खड़ा है। भिल्ला इसी नाम के जिले का हुये और राजा के नामजद किये हुये मेम्बर हैं । इम एक पुराना नगर है। प्रजा के प्रतिनिधियों की संख्या अधिक है। अमझेरा एक अलग कोने में पड़े हुये पहाड़ी अभी हाल ही में महाराजा ने इ प सभा में और अधिक जंगी जिले का प्रधान नगर है । अगर नगर ग्वालि. सुधार करने के लिये आज्ञा निकाली है जिसमें सभा यर राज्य में अंग्रेजी छावनी शाजापुर जिले में स्थित के अन्दर प्रजा के चुने हुये मेम्बरों की संख्या बढ़ है। रटरिया तलाव छावनी को कस्बे से अलग जायगी। और साथ हा साथ ज़िम्मेदारी भी अधिक करता है। हा जावेगी। गोहदन नगर और किले पर पहले भदौरिया इस प्रकार ग्वालियर नरेश ने स्वयं अपनी प्रबल राजपूतों का अधिकार फिर यह राना भीमसिंह के इच्छा से अपने पांव प्रजातन्त्र राज्य की ओर बढ़ाया हाथ में आया । अन्त में यहाँ मींधिया महाराज का है। यह बात उसके बिलकुल विपरीत है जैसा कि अधिकार हो गया। और दूसरे राज्यों में होता है कि प्रजा अपने अधिकारों सभा .