पृष्ठ:भूगोल.djvu/४८

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अंक १-४] राजपूताना ४७ बांसवाड़ा राजपूताना का अत्यन्त दक्षिणी राज्य है। इस राज्य का क्षेत्रफल १९४६ बर्गमील और जनसंख्या २,६१,००० है। यहां का राजवंश उदयपुर राजवंश की ही एक शाखा है। जहां इस समय वांसवाड़ा नगर है वहां पहले एक बड़ा भील पाल या भीलों का उपनिवेश था। वर्षा के बाद यहाँ का दृश्य बड़ा सुन्दर हो जाता है। माही, पानास, एरन, चाप और हास यहाँ की छोटी छोटी नदियाँ हैं। पहले बांस की अधिकता होने से इस राज्य का नाम बांसवाड़ा पड़ा । कहते हैं कि मरहठों से छटकारा पाने के लिये यहां के महारावल ने १८१८ ई० में अंग्रेजों की स्वाधीनता स्वीकार कर ली । इस राज्य की आय लगभग ७ लाख रुपया है।

डूंगरपुर राजबंश भी उदयपुर संसोदिया राजवंश की एक शाखा है । तेरहवीं सदी में इस राज्य की नींव पड़ी। १८१८ ई. में यहां के राजा ने अंग्रेजों से सन्धि कर ली । यह प्रदेश प्रायः पहाड़ी है। यहाँ के भीलों को दबाने के लिये आरम्भ में अंग्रेजी फौज ने तरह तरह की सख्तियाँ की। इस राज्य में होकर एक भी रेलवे लाइन नहीं जाती है। सबसे पास का रेलवे स्टेशन उदयपुर है। यह भी डूंगरपुर से ६५ मील अहमदाबाद की ओर वाला निकटतम स्टेशन तलोद है। यह सत्तर मील दूर है। इस राज्य का क्षेत्रफल १४६० वर्गमोल, जनसंख्या २,२८,००० और आमदनी ८ लाख रुपया है।

प्रताबगढ़ प्रतावगढ़ को कन्यल भी कहते हैं । सोलहवीं सदी में मेवाड़ के राना के एक वंशज ने इस राज्य की नींव डाली थी । १६९८ ई० में श्री प्रतापसिंह ने प्रतापगढ़ नगर बसाया। पहले यह राज्य दिल्ली को कर देता था। कुछ दिनों तक स्वतंत्र रहा। फिर होल्कर महाराज को ७५,००० रु० कर देना पड़ा। यह रुपया यहीं की टकमाल में बनता था और पड़ोस के राज्यों में भी चलता था। इस राज्य ने पहली बार १८०४ ई० में अंग्रेजों से सन्धि की । लेकिन लार्ड कार्नवालिस ने इसे रद्द कर दिया । दूसरी बार १८१८ ई० में सन्धि हुई । जो कर होलकर महाराज को राज्य से मिलता था वह ब्रिटिश सरकार को मिलने लगा। १९०४ ई० से यह कर सरकारी रुपयों में ३६,००० रु० कर दिया गया। इस राज्य का क्षेत्रफल ८८९ वर्ग मील, जनसंख्या ५७,००० ओर आमदनी साढ़े पांच लाख रुपया है।

कुशलगढ़ यह मेवाड़ रेजीडेन्सी का एक राज्य है । इसका क्षेत्रफल ३४० वर्गमील और जनसंख्या ३५.५६४ है। इप राज्य को सालाना श्राय १,०२,६०० रुपया सालाना है। इस राज्य के वर्तमान शासक राव रणजीतसिंह हैं।