पृष्ठ:भूगोल.djvu/७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अङ्क १-४] रीवा राज्य ७१ रीवा राज्य - [ श्री० लाल भानुसिंह जी बाघेल ] भौगोलिक बातें भू-भाग, पठारी मैदान और कछारी मैदान सब प्रकार की भूमि सम्मिलित है। इस का आकार डमरू की भाँति, मध्य यद्यपि भारतवर्ष का मध्य, केन्द्र, झाँसी के पास कहीं में सङ्कीर्ण और क्षेत्रफल १३ हजार वर्ग मील है। इस होना चाहिये, पर झाँसी के दक्षिण फैला हुआ प्रान्त ही राज्य की स्थिति पर विचार करते समय यह भी ध्यान रखना मध्य भारत कहा जाता है । इसमें मालवा, बुन्देलखण्ड और चाहिये कि यहाँ विशेष कर दक्षिणी भाग में भू-कम्प इत्यादि बघेलखण्ड प्रान्त सम्मिलित हैं। मालवा प्राचीन अवन्ती कोई असाधारण तूफान कभी नहीं आया है। है और बुन्देलखण्ड प्राचीन डाहल या चेदि राज्य का नया नाम है, जिसे बीचोबीच जेजाभुक्ति भी कहते थे। इसी डाहल प्राकृतिक विभाग के पूर्वी भाग में बघेल राजपूतों का प्रभुत्व होने से उसे प्राकृतिक रूप से यह राज्य तीन विभागों में विभाजित बघेलखण्ड कहा जाता है। बघेलखण्ड का रीवा राज्य है। दक्षिण का पहाडी प्रान्त, बीच का पठारी मैदान मध्य भारत के देशी राज्यों में एक प्रमुख राज्य है । ग्वालि और उत्तर का कछारी भाग । यहाँ की भौगोलिक भाषा में यर को छोर कर विस्तार में यह सब से बड़ा है। यहाँ के इन्हें क्रमशः पठहार-डहार, उपरिहार और तरिहार कहते हैं । शासक बधेल राजपूत हैं । वे हिज हाईनेस बान्धवेश महाराजा दक्षिणी भाग नर्मदा के उद्गमस्थल से आरम्भ हो कर धिराज की उपाधि और १७ फेर तोपों की सलामी से पूर्व-पश्चिम विस्तृत विन्ध्याचल की कैमूर नामक श्रेणी सम्मानित हैं । रीवा राजधानी होने से रीवा राज्य और तक समाप्त होता है। राज्य का लगभग साढ़े नौ हजार प्रसिद्ध किला बान्धवगढ़ होने से इसे बान्धव राज्य भी भू-भाग इस प्रान्त में सम्मिलित है; किन्तु इस भाग से शेष कहते हैं। राज्य का न कोई प्रत्यक्ष प्राकृतिक सम्बन्ध है और न शासन के सिवाय किसी विषय की एकता है। हिज हाईनेस महाराजाधिराज सर गुलाब सिंह बहादुर, कैमूर श्रेणी के उत्तर से बीच का पठारी प्रान्त जी० सी० आई०, के० सी० एस० आई० ( बुन्देल राजपूत ) (उपरिहार) प्रारम्भ होकर बिंझ नाम की, प्रायः पूर्व-पश्चिम प्रिन्सेज़ चैम्बर के मेम्बर हैं। विस्तृत पर्वत श्रेणी तक समाप्त होता है । यह प्लेटो पूर्व में रीवा राज्य और युक्तप्रान्त की सीमा से प्रारम्भ होकर स्थिति और विस्तार पश्चिम में बुन्देलखण्ड के पन्ना और अजयगढ़ राज्य तक रीवा राज्य कर्क रेखा के दोनों ओर फैला हुआ है । चला गया है । यह बड़ी सुन्दर उच्च-सम-भूमि है । क्या संयुक्त प्रान्त, बिहार, मध्यप्रान्त और बघेलखण्ड की मैहर, जलवायु और क्या उपजाऊपन सब विषयों में यह प्रान्त नागोद आदि छोटे-छोटे राज्यों के बीच का भू-भाग ही रीवा सुन्दर है। कैमूर पहार से निकलने वाली अनेक नदियाँ इसे राज्य है। विन्ध्याचल की घाटियों से ले कर गंगा के दक्षिणी सजला-सुफला करती हैं । दो-चार टीलों को छोड़ कर रीवा मैदान तक अर्थात् २२ --३० उत्तरी अक्षांश से २५ -१२ राज्य में कोई पर्वत श्रेणी नहीं है। बंटाढाल मैदान उत्तरी अक्षांश तक तथा ८०-३६ पूर्वी देशान्तर से है। रीवा राजधानी इसी प्रान्त के मध्य में है। ८२-५१ पूर्वी देशान्तर तक विस्तृत है। इस में जङ्गली इसका क्षेत्रफल २,६६६ वर्गमील है।* वर्तमान शासकः- पड़ा हुआ

  • अनुमान किया जाता है कि नर्मदा नदी का उद्गम *दक्षिणी भाग और उच्च-सम-भूमि की अवस्था

इसी राज्य से होने के कारण उसी के दूसरे नाम 'रेवा' के कैंब्रियनकाल अर्थात् पृथ्वी की आदिम अवस्था, की मानी नाम पर राजधानी का नाम 'रेवा' रक्खा गया और पीछे जाती है और उसकी आयु डेढ़ अरब वर्षों से अधिक अनु- फारसी लिपि के कारण वह रीवा हो गया। -लेखक मान की जाती है। -लेखक