पृष्ठ:भूगोल.djvu/८०

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ओरछा या टीकमगढ़ राज्य सीमा और स्थिति- भूमि है । यह भूमि बालू और ज्वालामुखी पर्वतों के बुंदेल खण्ड में सेंट्रल इन्डिया एजेन्सी का सब राख से मिलकर बनी है यहाँ के दृश्य बड़े ही सुहा- से अधिक प्रसिद्ध राज्य ओरछा या टीकमगढ़ वने हैं । हरे, लहलहाते खेतों के ठीक ऊपर ही भूरे है। यह राज्य २४° २६' और २५° ४०' उत्तरी रंग की बड़ी बड़ी चट्टानें हैं । ये चट्टानें पहाड़ियों अक्षांशों और ७८° २६' और ७६ २६' पूर्वी देशान्तरों से मिली हुई हैं। इन पहाड़ियों की चोटियों पर के बीच स्थित है । इसके उत्तर पच्छिम में झाँसी का प्राचीन काल के बने हुए किले हैं । पहाड़ियों के नीचे जिला, दक्षिण में सागर का ज़िला, विजावर और झीलें हैं जिन पर चारों ओर से बाँध बंधे हैं। यह पन्नाराज्य और पूर्व में चरखारी, विजावर और बाँध पत्थरों को छाँट कर बनाए गये हैं। इन बाँधों गौराली जागीर हैं। के ऊपर सुन्दर पेड़ों की छाया है। ओरछा के राजा बुन्देले क्षत्रिय सूर्यवंशी हैं। पहाड़ियाँ- यह बुन्देला जाति के अगुआ समझे जाते हैं। और यद्यपि कोई खास पहाड़ी यहाँ नहीं है तो भी दूसरे बुन्देले ओरछा घराने की शाखाओं में से हैं। छोटी छोटी बहुत सी पहाड़ियाँ समानान्तर दक्षिण- प्राचीन काल में यह राज्य उत्तर में जमुना से पश्चिम से उत्तर-पूरब की ओर फैली हुई हैं, जो लेकर दक्षिण में नर्मदा तक और पच्छिम में चम्बल समुद्रतल से १४ फीट ऊँची हैं। नदी से पूर्व में टोंस नदी तक फैला हुआ था। नदियाँ- लड़ाई झगड़ों और घरेलू बँटवारे के कारण वर्त- मान राज्य केवल २०८० वर्ग मील रह गया है। जमानी, बाँदा, वारगी, वावी इत्यादि बेतवा की सहा- यहाँ की बेतवा और धसान दो मुख्य नदियाँ हैं। पुराने राज्य का अधिकांश भाग ब्रिटिश बुन्देलखण्ड यक नदियाँ हैं । ओरछा नगर बेतवा के किनारे पर और दूसरे राज्यों में शामिल कर दिया गया है । है । यहाँ पर सुन्दर किला और वीरसिंह देव की मूर्ति है । धसान का पुराना नाम डशारना ( दश+ ओरछा या आँडछा नाम इस राज्य का इसलिये रिना ) है । दश का अर्थ दस और रिना का अर्थ पड़ा कि पहले पहल जो राजपूत सरदार यहाँ दुर्ग है अर्थात् दस किले का अर्थ है । धसान और आया उसने “आन्डोछे” (नीचा) शब्द का उच्चारण बेतवा के बीच का प्रान्त दशारना देश कहलाता था। किया । टीकम गढ़ नाम सन् १७८३ ई० में पड़ा बेतवा नदी लगभग ७० मील इस राज्य में बहती है। जब कि महाराजा विक्रमाजीत ने वर्तमान राजधानी अर, सपरार, रौनी, सिमामिया और उमरा इसकी की नींव डाली । यह नाम कृष्ण भगवान के नाम पर सहायक नदियाँ हैं। रक्खा गया । टीकमगढ़ राजधानी का पुराना नाम झीलें- टेहरी था। बलदेवगढ़, लिधौरा, जतारा, बीरसागर इत्यादि प्राकृतिक विभाग और दृश्य- बड़ी बड़ी झीलें हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है यह राज्य सेन्ट्रल इन्डिया के निचले प्रदेश में कि ये पुराने सरोवर, जिनके बाँध बुन्देलों और स्थित है। इसका अधिकांश भाग पथरीला है। यहाँ दूसरे राजों ने बँधाए पहले सिंचाई के लिये नहीं की भूमि कम उपजाऊ है । इसके कुछ भाग में जंगल बने थे । ये केवल सैर करने के लिये मन्दिरों और है । यहाँ बहुत सी झीलें हैं उनमें से कुछ तो बहुत महलों के समीप बनाए गए थे। वर्तमान समय में ये प्राचीन हैं । चट्टानों के बीच बीच में उपजाऊ काली सिंचाई के काम आते हैं । अर्जर झील अर्जर गाँव नाम-