पृष्ठ:भूगोल.djvu/९२

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धार राज्य The 1 धार भारतवर्ष में प्राचीन और प्रसिद्ध नगरों काल बहुत ही छोटा होता है । केवल दिसम्बर से में से है । 'धार' शब्द धार-नगरी से बिगड़ कर बना फ़रवरी तक जाड़ा पड़ता है। सालाना वर्षा लगभग है । यह राज्य की राजधानी है। इसी नगर के पीछे २६ इंच है । राज्य की जनसंख्या २,४३,४३० इस राज्य का नाम धार पड़ा। यह राज्य दो भागों जिनमें ६६ प्रतिशत हिन्दू और बाकी मुसलमान, में बँटा है (१) बड़ा ब्लाक ( २ ) तीन छोटे जैन, ईसाई और दूसरी जातियाँ हैं। राज्य में ब्लाक (टुकड़े ) जो बड़े से अलग हैं । बड़ा टुकड़ा हिन्दी, माल्वी, निमारी, भिलाली और भीली जो धार नगर के चारों ओर स्थित है उसमें धार, भाषाओं का प्रयोग होता है। लगभग ११,३६,३८० बड़नावर, नाल्डा, माँडू, धरमपुरी और ठिकरी के एकड़ भूमि में खेती होती है । २,४४,१३० परगने हैं । कुकसी, सुन्दरसी नियामपुर के परगने एकड़ भमि में जंगल है। १,३०,६५७ एकड़ भूमि दूसरे भाग में हैं। समस्त राज्य का क्षेत्रफल खेती के लायक है किन्तु अभी परती पड़ी हैं। लगभग १,८०० वर्ग मील है। इस राज्य के मुख्य अगहनी और बैसाखी दो फ़सलें होती हैं । ज्वार, भाग के उत्तर में रतलाम राज्य, दक्षिण में बर्वानी व बाजरा, तिल, मूंग, उर्द, मक्का अगहनी फसलें हैं इन्दौर राज्य, पूर्व में ग्वालियर और इन्दौर, और गेहूँ, मसूर, चना, जौ, अल्सी आदि बैसाखी पश्चिम में झाबुआ, ग्वालियर और इन्दौर राज्य हैं। फसलें हैं। तरकारियाँ लगभग सभी प्रकार की पैदा इस राज्य के दो प्राकृतिक विभाग हैं । यह दोनों होती हैं । फलों में संतरा, नींबू, आम, केला, जामुन, भाग विन्ध्याचल की एक पट्टी द्वारा विभाजित हैं। इस बैर, इमली, खिन्नी, चिरौंजी, चकोतरा, रामफल, श्रेणी के उत्तर में मालवा पठार का उपजाऊ प्रदेश सीताफल, कमरख, अंगूर, आँवला, जम्बू आदि स्थित है। पट्टी के दक्षिण ऊँचा पहाड़ी प्रदेश है। फल पैदा होते हैं। बनों में और भी सैकड़ों प्रकार पठारी प्रदेश का क्षेत्रफल ८६६ वर्ग मील और के फल फूल पैदा होते हैं जिनका प्रयोग जंगली पहाड़ी प्रदेश का ६०६ वर्ग मील है। पठारी प्रदेश लोग करते हैं । शेर, चीता, बाघ, तेंदुवा, भेड़िया, १,५०० से लेकर २,५०० फीट तक ऊँचा है । दक्षिणी काले हरन, सांभर, जंगली सुअर, लंगूर-बन्दर आदि भाग जो नर्मदा की घाटी तक है केवल ८०० फीट जानवर जंगलों में पाए जाते हैं। ऊँचा है। मालवा प्रदेश तथा नर्मदा की घाटी का राज्य का संक्षिप्त इतिहास- प्रदेश बड़ा ही उपजाऊ है। पहाड़ी प्रदेश में बहु धार राज्य के राजे अग्निकुल के क्षत्रिय हैं । यह मूल्य बन हैं । विन्ध्यन श्रेणी जल-विभाजक पँवार मरहठे कहे जाते हैं । नवीं सदी से तेरहवीं का काम करती है, इसके उत्तर और दक्षिण छोटी सदी तक इस वंश का राज्य रहा। इनकी राजधानी छोटी नदियाँ हैं जो चम्बल और नर्मदा के धार और उज्जैन थी। मूंजा वाकपती और राजा सहायक हैं। सबसे बड़ी नदी नर्मदा है जो राज्य भोज इस वंश के प्रसिद्ध राजे हैं। महाराज भोज में लगभग ५० मील तक बहती है । इसके के समय में महमूद गजनवी का आक्रमण हुआ। किनारे सुन्दर दृश्य हैं । माँडू और धार नगर की १२३५ ई० में भिल्सा और उज्जैन पर अल्तमश ने झीलें प्रसिद्ध हैं। पठार और पहाड़ी प्रदेश की अधिकार जमाया। १३०४-५ में अलाउद्दीन ने जलवायु अच्छी है। न तो गर्म है और न ठंडी। धार नगरी पर आक्रमण किया और उस समय से गर्मी के दिनों में भी रात्रि को सर्दी पड़ती है । पहाड़ी १७३२ तक धार राज्य पर मुसलमानों का अधि- प्रदेश में गर्मियों में अधिक गर्मी पड़ती है । शीत- कार रहा ।