पृष्ठ:भूगोल.djvu/९४

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1 अक १-४] धार राज्य ६३ पूर्णादेवी से हुई। उसी साल बेरसिया परगना और उदाजी राव द्वितीय ( १८६८)- अलीराजपुर का कर अंग्रेजों को दे दिया गया महाराज उदाजी राव, अन्ना साहब पाँवार के जिसके बदले में अंग्रेज़ सरकार ने १,१०,००० रु० पुत्र हैं । आपने डेली कालेज इन्दौर में शिक्षा पाई। सालाना दर्बार को देने का वादा किया। १९०३ में आप दिल्ली के कारोनेशन दर्बार में गए रामचन्द्र राव पाँवार अक्टूबर सन् १८३३ में वहाँ आपको सोने का तमगा मिला। १९०५ में मरे। उनके बाद यसवन्त राव द्वितीय ने १८३३-५७ राजा इन्दौर के दर्बार में गए और वेल्स के राज- तक राज्य किया। उसके बाद अनिरुद्ध राव पाँवार कुमार व राजकुमारी से भेंट की । १६०७ में राजा आनन्द राव द्वितीय गद्दी पर बैठा और १८६८ तक को राज्य करने की पूरी आज्ञा प्राप्त होगई । राजा राज्य किया । २५ अक्टूबर सन् १८५७ को बागियों ने अपने अफ़सरों की सहायता द्वारा राज्य-शासन धार पर अपना अधिकार जमा लिया। १६ जनवरी करता है। राज्य धार, बड़नावार, नाल्छा, मांडू, १८५८ को राज्य को बृटिश सरकार ने जन्त कर संडी, धरमपुरी, सुलतानाबाद कुकसी, नीमानपुर लिया, किन्तु इंगलैण्ड में सवाल पैदा हो जाने के आदि परगनों में विभाजित है । प्रत्येक परगना एक कारण मई १८६० में फिर वापस कर दिया । १८६२ कामदार के अधीन है। राज्य की सालाना आय में राजा को गोद लेने की सनद दी गई । १८७७ में १७,६०,००० रुपये हैं। महाराजा की पदवी मिली और राजा नाइट कमान्डर वर्तमान नरेश हिज़ हाइनेस महाराजा आनन्द बनाए गए। १८८३ में इंडियन इम्पायर के आर्डर के राव पाँवार हैं। (मरहठा) अप चैम्बर आफ कम्पेनियन बनाए गए। १५ जुलाई १८६८ को राजा प्रिन्सेज़ के मेम्बर हैं। और १५शतोपों की सलामी,दी की मृत्यु हुई। जाती है। Label