पृष्ठ:भूगोल.djvu/९६

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समथर-राज्य चन्द्रभान-बार-गूजर दयाराम परसराम मंजूसिंह उमेदसिंह तानेशाह सूरतसिंह भूपालसिंह हृदयशाह मदनसिंह (१७७०-८०) रणजीतसिंह द्वितीय (१८१५-२७) विशन सिंह देवी सिंह (१७७०.८०) (१७८०-१८००) दूसरे पुत्र हिन्दूपत (१८२७.६०) पहार सिंह विजय बहादुर प्रथम रणजीत सिंह प्रथम छतर सिंह अर्जुन सिंह (१८६०-६६) या अली बहादुर जगतराज वीरसिंह देव विक्रमादित्य रघुवीर सिंह रघुराजसिंह (१८६६) स्थिति- प्राकृतिक विभाग- राज्य की सारी भूमि कछारी और समथल है। यहाँ यह राज्य २५३८ से २६२° उत्तरी अक्षांशों और कोई पहाड़ी नहीं है। केवल सिउरा पहाड़ है जहाँ पर ७८.४८' से ७६ ११ पूर्वी देशान्तरों के बीच स्थित है। कपिलनाथ का मन्दिर है। यहाँ चैत कृष्ण पक्ष द्वितीया को इसका क्षेत्रफल १७८ वर्ग मील है। इसके उत्तर और हर साल मेला लगता है। यहाँ बेतवा और परहु दो नदियाँ पूरब में जालौन का जिला, दक्षिण में झाँसी का जिला, हैं। इन नदियों के कछार की भूमि बड़ी उपजाऊ है। यहाँ पश्चिम में ग्वालियर राज्य और झाँसी का जिला है। राज्य आँवला, बांस, मकोर, करौंदा, घोट, तेंदू, हरसिंगार, बेर, की जन-संख्या ३३,३०७ और सालाना आय १,५०,००० खैर आदि के जङ्गल हैं। रुपये सालाना है। जलवायु और वर्षा- नामकरण- समथल के अर्थ बराबर भूमि के होते हैं। इसकी भूमि बराबर होने के कारण इसका नाम समथल या समथर पड़ा। गर्मियों में अधिक गर्मी और शीतकाल में कड़ाके का जादा परता है । वर्षा २८ इंच सालाना है। जन संख्या लगभग ३५ हजार के है।