पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१५

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भूतनाथ २४

बात मालूम हुई हैं जिनसे आप लोगों के होशियार कर देना जरूरी है। (प्रभाकरसिंह की तरफ देख कर ) अभी तक दुश्मनो से आपका पीछा नही छूटा, खाली गुलाबसिंह ही श्रापकी गिरफ्तारी के लिये नही भेजे गये बल्कि इनको भेजने के वाद अापके राजा साहब ने और भी बहुत से प्रादमो प्राप लोगो को पकड़ने के लिये भेजे जो इस समय इस पहाडी के इवर उपर आ गये है और आपके पादमियो को भी उन लोगो ने गिरफ्तार कर लिया है जिनका शायद आप इन्तजार करते होगे।

प्रभा० । (ताज्जुव में आकर) आपको जुवानी तो बहुत सी बातें मालूम हुई ! मुझे इन सव को कुछ भो खबर न थो । पाप तो इस तरह बयान कर रहे हैं जैसे कोई जादूगर पाईने के अन्दर जमाने भर की हालत देख देख कर सभा में वयान करता हो।

गुला+० । यही तो इनमें एक अनूठी बात है जिससे वडे बडे नामी ऐयार दा रहा करते हैं। इनसे किसी भेद का छिपा रहना बहुत ही कठिन है। (भूतनाय से) अच्छा तो मेरे प्यारे दोस्त । मैं प्रमाकरसिंह और इन्दुमति को मापके सुपुर्द करता है। जिसमे इनका कल्याण हो सो कोजिए। यह बात आपसे छिपी हुई नही है कि मै इन्हें कैसा मानता हू ।

भूत० । म सब जानता है और इसीलिए यहा पाया भी हू, अस्तु प्रव विशेष बातचीत करने का मौका नही, पाप उठिये और मेरे पीछे पीछे पाइए।

प्रभा० । (उठने हुए) मुझे अपने लिए कुछ भी फिक्र नहीं है, केवल वैचारो इन्दु के लिए मुझे नामर्दो को तरह भागने और अदने अदने प्रादमियो मे छिप कर चलने

भून० । (वात काट कर) मै खूब जानता हू, मगर क्या कीजिएगा, समय पर मर कुछ करना पडता है, पाख रहते भी टटोलना पड़ता है।

सब कोई उठ कर भूतनाथ के पीछे पोछे रवाना हुए। जो कुछ हाल हम ऊपर बयान कर चुके हैं इसमें कई घण्टे गुजर गये।