पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/३४६

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११ तासरा हिस्सा -- ची है । उस बाग मे एक टूटे पेड के साथ हथकडी वेडी से मजबूर प्रभा- रसिंह क्ये हुए है । उन्हें देखते ही इन्दुमति का फलेजा कांप गया और मना तथा सरस्वती के रोगटे खडे हो गये। उस समय दारोगा ने जमना तो तरफ देव कर कहा- दारोगा 10 | तुम लोगो ने अच्छी तरह देख लिया कि तुम्हारे प्यारे प्रभा- रसिंह जो तुम लोगो के बाद मृतनाथ पर कलक लगा सकते थे तुम लोगो के Tथ ही गिरफ्तार कर लिए गए, बतायो अब तुम्हे क्सि पर भरोसा है ? जगना० । भरोसा तो हमें केवल ईश्वर पर ही है मगर फिर भी इतना र कहूंगी कि मेरे मददगार कोई और हो लोग है जिनका नाम तुम्हें ऊंनी तन्ह भी मालूम नहीं हो सकता । दारोगा । तुम्हारा यह कहना भी व्यर्थ है, मुझसे और भूतनाथ मे छ भी छिपा नहीं है। इतना कह फर दारोगाने खिटको वन्द कर दी और वहाँ पुन अन्धकार हो या । इसरे बाद उन तीनो को लिए हुए उसी पहिले स्थान पर चला पाया और उसी सम्भे के साथ पुन तीनो को वार कर पैर की जजीर कस दी । प्रभागनिह को फंद की हालत में देख कर वे तीनो बहुत ही परेशान और उनके दिल में तरह तरह की बातें पैदा होने लगी। दारोगा ने न जमना की तरफ देश कार पाहा दागेगा । मैं फिर पहता है कि भूतनाथ से दुश्मनी रस न तुम लोग न दुनिया में सुपी नहीं रह सरती। जमना । (जची नाम लेकार) अयमेरे लिए उस दुनिया में क्या किया

। पिन नग के लिए में जीवन को नालसा पर मरती हैं दुनिया में

र नागा है तो नवल म बात की भूतनाथ से वदना न्न । मेगा । मी हो नहीं माना और नगुनन्गय ने वानव मे तुम्हाग विणा हो । तुम गुर नोन ला पोर ममम, गो. मै नत्र कहना है भलमार व मी तुम्हारी मिल करने के निरा राजिर है । अगर तुम सेना साकार मान लगेगी तो तान दिनो में ग्रह योग पर नुन्हारे