पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/११६

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[ २५ ] सीतल कीनो। साहितनै कुल चंद सिवा जस-चंद सों चंद कियो छबि छीनो ॥६८॥ ___ अन्यच्च-कवित्त मनहरण - वीर विजैपुर के उजीर निसिचर गोलकुंडावारे घूघू ते उड़ाए हैं जहान सौं। मंद करी मुखरुचि चंद चकता की, कियो भूषन भूषित द्विज चक्र खानपान सों॥ तुरकान मलिन कुमुदिनी करी है हिंदुवान नलिनी खिलायो विविध विधान सों। चारु सिव नाम को प्रतापी सिव साहि सुव तापी सब भूमि यों कृपानः भासमान सों॥ ६९ ॥ उल्लेख लक्षण-दोहा कै बहुतै कै एक जहँ एक वस्तु को देखि । बहु विधि करि उल्लेख हैं सो उल्लेख उलेखि ।। ७० ।। (बहुतों द्वारा उल्लेख ) उदाहरण-मालती सवैया एक कहैं कलपद्रुम है इमि पूरत है सब की चित चाहै। एक कहैं अवतार मनोज को यों तन मैं अति सुंदरता है ।। भूपन एक कहैं महि इंदु यो राज बिराजत बाढ़यो महा है। एक कहैं नरसिंह है संगर एक कहैं नरसिंह सिवा है ।।७१॥

  • परिणाम और रूपक में भेद दिखलाने में कुछ आचार्यों में मतभेद है। भूपण

साहित्य दर्पण और सर्वस्वकार पर चले हैं। इनका मत है कि यदि उपमान की क्रिया हो तो परिणाम है और यदि उपमेय की हो तो रूपक । इतरों का विचार है कि उपमान । की क्रिया होने से रूपक और उपमेय वाली से परिणाम है। यहाँ धर्म क्रिया रूप. उपमान का है।