पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१३५

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[४४ ] उदाहरण-दोहा आयो आयो नुनत ही सिव सरजा तुव नाच । वैरि नारि हग जलन सों बूड़ि जात अरि गावँ ॥ ११६ ।। अन्यच-कवित्त मनहरण गढ़नेर गई चाँदा भागनेर बीजापुर नृपन कि नारी रोय हाथन मलति हैं । करनाट हवस फिरंगहूँ विलायत १३२ गढ़नेर अर्याद नगरगड़ नामक एक देश कड़ा मानिकपुर के समोर या जिसने पहाड़ियों और दंगल बहुत थे । इसे मुगलों ने १५६० में नीत लिया। ३ इसे नरहों ने अपने अधिकार में कर लिया था और दंत को कर्नल ऐहन्न ने उन्डे नई सन् १८१८ में जीत लिया। ४ भागनेर अर्याद मागनगर को गोलकुंडावाले नुहम्मद कुतुबुल्नुल्क ने अपनी प्रिय पल्लो भागमत्रों के नाम पर चार मील पर दनाया था। यही वर्चमान हैदराबाद माइर है। ५ करनाक पर शिवानी ने १६७६-७८ ई० में घावा किया। यहाँ पर उस घावे का न्यन नहीं है; वरन् केवल बाउक का है । कर्नाटक दो थे, एक पूर्वी और दूसरा पशिनी । पूर्वी कर्नाटक पर उन् १६७६-७८ ने धावा हुआ, किन्तु पश्चिनो पर सन्. १६७३ के पूर्व कई वार लूट पाट तथा घावे हुए। ६ हवशियों का स्थान दिसोनिया । ७ चौरस नयवा बाहर का देश फिरंगाना। ८ नुसलमानों को विलायत (अगानिस्तान, तुर्किस्तान, फारस इत्यादि)।