पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१५२

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[ ६१ ] पर्यायोक्ति लक्षण-दोहा वचनन की रचना जहाँ वर्णनीय पर जानि । परजायोकति कहत हैं भूपन ताहि बखानि ।। १७२ ।। उदाहरण-मनहरण दंडक महाराज सिवराज तेरे वैर देखियतु धन बन कै रहे हरम हवसीन के । भूपन भनत तेरे वैर रामनगर' जवारि२ पर वह- बहे रुधिर नदीन के ।। सरजा समत्थ वीर तेरे पैर बीजापुर वैरी वैयरनि कर चीन्ह न चुरीन के। तेरे रोस देखियत आगरे दिली में विन सिंदुर के बुंद मुख इंदु जमनीन४ के ॥ १७३ ।। - - -

  • पर्यायोक्ति का लक्षण टेढ़ी रचना से कथन है। भूषण का उदाहरण बहुत

स्पष्ट नहीं हैं, यद्यपि कष्टकल्पना से अलंकार माना जा सकता है। ! इस नाम के कई नगर है। यह रामनगर कदाचित् रामगिरि एवं रामगढ़ के निकटवाला है। इसीको रामनेर भी कहा है। २ छ. नं० २०६ देखिए । शिवाजी ने सन् १६७१ में एक रामनगर जीता तथा दूसरे साल अन्य रामनगर तथा जौहर राज्य जीते। ३ स्त्रियों के ( पश्चिमी बोली)। ४ इस छंद में मुसलमानों की स्त्रियों के मस्तक पर सिंदूर का अभाव दिखला कर उनको वैधव्यावस्था व्यंजित की गई है। अब कुछ मुसल्मानों के यहाँ व्याह के दिन सिंदूर के पुढे से सोहाग लिया जाता है; पर तत्पश्चात् उसका व्यवहार नहीं होता। उन दिनों संभव है कि मुसलमानों में भी सधवा स्त्रियाँ सदा सिंदूर लगाती हों।